राष्ट्रीय: झारखंड में पेसा कानून लागू होने तक लघु खनिजों की नीलामी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पूछा- सीएम और मंत्रियों को जेल भेज दें?

झारखंड में पेसा कानून लागू होने तक लघु खनिजों की नीलामी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पूछा- सीएम और मंत्रियों को जेल भेज दें?
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट) कानून न लागू किए जाने पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को सख्त आदेश पारित किया। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में पेसा कानून लागू होने तक बालू घाट सहित सभी प्रकार के लघु खनिजों की नीलामी पर रोक लगा दी है।

रांची, 9 सितंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट) कानून न लागू किए जाने पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को सख्त आदेश पारित किया। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में पेसा कानून लागू होने तक बालू घाट सहित सभी प्रकार के लघु खनिजों की नीलामी पर रोक लगा दी है।

सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए। उनके जवाब से असंतुष्ट होकर खंडपीठ ने सख्त लहजे में पूछा- ''क्या आप चाहते हैं कि हम मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल भेज दें? क्या यही सुझाव है आपका?''

कोर्ट ने टिप्पणी की कि राज्य सरकार 73वें संविधान संशोधन की मंशा को कमजोर कर रही है। अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार स्थानीय निकायों को मिलने चाहिए, लेकिन सरकार नियमावली लागू करने में लगातार टालमटोल कर रही है।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पेसा नियमावली का ड्राफ्ट जारी किया गया था, जिस पर आपत्ति और सुझाव लिए गए हैं। अब नियमावली को तैयार कर कैबिनेट और मुख्यमंत्री की स्वीकृति ली जानी है। इस जवाब पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने तर्क दिया कि राज्य सरकार जानबूझकर पेसा नियमावली को अधिसूचित करने में देर कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार बालू घाटों और अन्य लघु खनिज खदानों की दीर्घकालिक नीलामी व पट्टे देने की प्रक्रिया में जुटी है। जब तक नियम बनेंगे, तब तक ग्राम सभाओं के लिए कुछ भी शेष नहीं रहेगा।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने जुलाई, 2024 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद झारखंड सरकार को दो माह के अंदर राज्य में पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों के अनुरूप तथा पेसा कानून के प्रावधान के अनुसार पेसा नियमावली बनाकर लागू किया जाये। इस आदेश का अनुपालन अब तक होने पर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने अवमानना याचिका दायर की है।

इसके पहले इस याचिका पर 5 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक पेसा नियमावली लागू क्यों नहीं हुई? इस संबंध में क्या कार्रवाई की गई? इस पूरे मामले पर सरकार को विस्तृत जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया गया था।

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Created On :   9 Sept 2025 7:40 PM IST

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