सिनेमा: विदेशी सुरों से भारतीय फिल्म संगीत में क्रांति लाए जयकिशन, बन गए धुनों के जादूगर
मुंबई, 11 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी फिल्म संगीत की शंकर-जयकिशन की जोड़ी आज भी लोगों की यादों में ताजा है। जब भी इनका नाम लिया जाता है, तो कानों में 'प्यार हुआ इकरार हुआ' और 'तुमने पुकारा और हम चले आए' जैसे गीत गूंजने लगते हैं। जयकिशन ने भारतीय संगीत के साथ-साथ विदेशी धुनों को भी अपनाया और उन्हें नए अंदाज में पेश किया।
जयकिशन का जन्म 12 नवंबर 1929 को गुजरात के वंसदा गांव में हुआ था। उनका असली नाम जयकिशन दयाभाई पांचाल था। उनके परिवार में संगीत की परंपरा नहीं थी, लेकिन संगीत उनके दिल में बसता था, जिसके लिए उन्होंने शिक्षा भी ली थी। पर चाह अभिनेता बनने की थी, जिसके चलते वह मुंबई आ गए। यहां उन्हें अभिनय से ज्यादा संगीत में अवसर मिले। मुंबई आते ही उनकी मुलाकात शंकर सिंह रघुवंशी से हुई, जो तब तबला बजाया करते थे। दोनों पृथ्वी थियेटर में काम करने लगे और वहीं से उनकी दोस्ती गहरी हो गई।
शंकर और जयकिशन की जोड़ी को पहला बड़ा मौका राज कपूर ने 1949 में रिलीज हुई फिल्म 'बरसात' में दिया। इस फिल्म का संगीत सुपरहिट हुआ। 'हवा में उड़ता जाए', 'जिया बेकरार है छाई बहार है', और 'मुझे किसी से प्यार हो गया' जैसे गाने हिट रहे। इसी के साथ फिल्म इंडस्ट्री को एक नई संगीतकार जोड़ी मिल गई। इसके बाद इस जोड़ी ने 'आवारा', 'श्री 420', 'अनाड़ी', 'जंगली', 'जब प्यार किसी से होता है', और 'तीसरी कसम' जैसी तमाम सुपरहिट फिल्मों में संगीत दिया।
जयकिशन ने संगीत में विदेशी धुनों से भी प्रेरणा ली। उन्होंने कई गानों में विदेशी धुनों को इस तरह मिलाया कि वे पूरी तरह भारतीय लगने लगे। फिल्म 'गुमनाम' का मशहूर गीत 'गुमनाम है कोई' अमेरिकी संगीतकार हेनरी मैनसिनी की धुन 'चारेड' से प्रेरित था। इसी तरह 'झुक गया आसमान' का 'कौन है जो सपनों में आया' एल्विस प्रेस्ली की 'मार्गेरिटा' से लिया गया था। फिल्म 'आवारा' के गीत 'घर आया मेरा परदेसी' में मिस्र की गायिका उम्म कुलसुम के गाने 'अला बालादी एल्महबौब' के संगीत की झलक थी। उन्होंने कभी इन धुनों को ज्यों का त्यों नहीं अपनाया। उन्होंने उन्हें भारतीय राग, ताल और साज में ढालकर ऐसा बनाया कि वे सुनने में बिल्कुल देसी लगे।
शंकर और जयकिशन की जोड़ी की धुनों का असर इतना गहरा था कि शम्मी कपूर जैसे अभिनेता 'याहू… चाहे कोई मुझे जंगली कहे' जैसे उनके गानों के जरिए सुपरस्टार बने। इस जोड़ी को संगीत के क्षेत्र में नौ बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।
जयकिशन का जीवन ज्यादा लंबा नहीं रहा। 12 सितंबर 1971 को 41 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। लेकिन उनकी बनाई धुनें आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं।
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Created On :   11 Sept 2025 4:47 PM IST