स्वास्थ्य/चिकित्सा: अपनी सेहत से है प्यार, तो आयुर्वेद में बताए इन नुस्खों से रखें गले का ख्याल

अपनी सेहत से है प्यार, तो आयुर्वेद में बताए इन नुस्खों से रखें गले का ख्याल
आयुर्वेद में गले को शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना गया है, क्योंकि यह न केवल भोजन और पानी को निगलने का मार्ग है बल्कि वाणी, श्वास और संचार का भी केंद्र है। आयुर्वेद के अनुसार गले में कंठ और स्वर तंत्र स्थित होते हैं, जो बोलने की क्षमता और जीवन ऊर्जा (प्राण) के प्रवाह से जुड़े होते हैं। यही कारण है कि गले की सुरक्षा और देखभाल को स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा माना गया है।

नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। आयुर्वेद में गले को शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना गया है, क्योंकि यह न केवल भोजन और पानी को निगलने का मार्ग है बल्कि वाणी, श्वास और संचार का भी केंद्र है। आयुर्वेद के अनुसार गले में कंठ और स्वर तंत्र स्थित होते हैं, जो बोलने की क्षमता और जीवन ऊर्जा (प्राण) के प्रवाह से जुड़े होते हैं। यही कारण है कि गले की सुरक्षा और देखभाल को स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा माना गया है।

आयुर्वेद के अनुसार गला वात, पित्त और कफ तीनों दोषों से प्रभावित हो सकता है। यदि इन दोषों का संतुलन बिगड़ जाए तो गले से जुड़ी कई समस्याएं सामने आती हैं। उदाहरण के लिए, अधिक ठंडे या गरम पदार्थों के सेवन से कफ बढ़ जाता है, जिससे गले में खराश, सूजन या बलगम की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसी प्रकार तीखे और खट्टे पदार्थों का अधिक सेवन पित्त को बढ़ाता है, जिससे गले में जलन हो सकती है। वहीं वात दोष का असंतुलन गले को शुष्क कर देता है, जिससे बोलने में मुश्किल और खरखराहट जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए आयुर्वेद गले की देखभाल में दोषों के संतुलन पर विशेष ध्यान देने की सलाह देता है।

आयुर्वेद में गले की सुरक्षा और सेहत के लिए सरल लेकिन प्रभावी उपाय बताए गए हैं। गुनगुने पानी से गरारे करना सबसे आसान और कारगर उपाय माना जाता है, क्योंकि यह गले की सफाई करता है और संक्रमण से बचाता है। हल्दी और शहद का मिश्रण गले की खराश और सूजन को कम करता है, साथ ही यह प्राकृतिक एंटीसेप्टिक का काम भी करता है। तुलसी और मुलेठी का काढ़ा गले के लिए अमृत समान माना जाता है, क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और गले को भीतर से मजबूत करता है। इसके अलावा अदरक, लौंग और काली मिर्च जैसे घरेलू मसाले भी गले के दर्द और संक्रमण में उपयोगी होते हैं। आयुर्वेद में यह भी कहा गया है कि अधिक ठंडे पेय, आइसक्रीम और अत्यधिक तैलीय पदार्थों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये गले को कमजोर बनाते हैं।

गले की देखभाल केवल औषधियों या नुस्खों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवनशैली का संतुलन भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। प्राणायाम और ध्यान जैसी क्रियाएं गले और स्वर तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होती हैं। प्राणायाम से श्वास प्रणाली मजबूत होती है और वाणी की स्पष्टता बढ़ती है। नियमित योगाभ्यास गले में रक्तसंचार को बेहतर बनाता है और इससे कंठ का स्वास्थ्य लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। इसके अलावा पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और तनावमुक्त जीवनशैली भी गले की सेहत के लिए आवश्यक है।

पीआईएम/डीएससी

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   11 Sept 2025 8:58 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story