क्रिकेट: रॉबिन सिंह वेस्टइंडीज से आकर भारतीय क्रिकेट पर छा जाने वाला ऑलराउंडर

रॉबिन सिंह  वेस्टइंडीज से आकर भारतीय क्रिकेट पर छा जाने वाला ऑलराउंडर
भारतीय क्रिकेट टीम ऑलराउंडर्स की कमी से हमेशा जूझती रही है। खासकर ऐसा ऑलराउंडर, जो तेज गेंदबाजी करने के साथ-साथ बल्लेबाजी में भी दक्ष हो। कुछ नाम हैं, जिनका अक्सर जिक्र किया जाता है। इसमें कपिल देव, अजीत अगरकर, इरफान पठान और आज के दौर में हार्दिक पांड्या , शिवम दुबे का नाम लिया जाता है। हम अक्सर जिस नाम को इस सूची में शामिल करना भूल जाते हैं, वो नाम रॉबिन सिंह का है।

नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट टीम ऑलराउंडर्स की कमी से हमेशा जूझती रही है। खासकर ऐसा ऑलराउंडर, जो तेज गेंदबाजी करने के साथ-साथ बल्लेबाजी में भी दक्ष हो। कुछ नाम हैं, जिनका अक्सर जिक्र किया जाता है। इसमें कपिल देव, अजीत अगरकर, इरफान पठान और आज के दौर में हार्दिक पांड्या , शिवम दुबे का नाम लिया जाता है। हम अक्सर जिस नाम को इस सूची में शामिल करना भूल जाते हैं, वो नाम रॉबिन सिंह का है।

रॉबिन सिंह जन्म 14 सितंबर, 1963 को प्रिंस टाउन त्रिनिदाद में हुआ था। उनका मूल नाम रवीन्द्र रामनारायण सिंह है। भारतीय मूल के रॉबिन सिंह का परिवार उनके जन्म के दशकों पहले से वेस्टइंडीज में रह रहा था। रॉबिन बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी रखते थे। भारत को लेकर भी उनके मन में आकर्षण था। वह त्रिनिदाद में ही ट्रेनिंग किया करते थे और स्कूल, क्लब लेवल पर क्रिकेट खेलते थे। 80 के दशक में भारत से हैदराबाद ब्लू नाम की एक टीम टूर्नामेंट खेलने वेस्टइंडीज गई थी। रॉबिन सिंह ट्रिनिडेड की ओर से उस मैच में खेले। रॉबिन के खेल से प्रभावित होकर अकबर इब्राहिम नामक शख्स ने उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया। 19 साल की उम्र में 1982 में रॉबिन भारत आ गए।

मद्रास (अब चेन्नई) पहुंचने के बाद रॉबिन ने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई और साथ ही क्रिकेट शुरू किया। रॉबिन के लिए चेन्नई ही अब उनका घर था। 1989 में उन्हें भारत की नागरिकता मिली और इसके बाद वेस्टइंडीज टूर के लिए उनका चयन भारत के लिए हो गया। रॉबिन ने कभी वेस्टइंडीज की तरफ से खेलने का सपना देखना होगा, लेकिन किस्मत का पहिया ऐसे घूमा की उसी वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने भारत की तरफ से अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया।

रॉबिन का डेब्यू तो 1998 में हो गया। उस सीरीज में उन्हें दो मैच भी खेलने को मिले, लेकिन अगला मौका 7 साल बाद मिला 1996 में टाइटन कप में मिला। इसके बाद 2001 तक वह लगातार टीम इंडिया का हिस्सा रहे। उन्हें भारत की तरफ से सिर्फ एक टेस्ट खेलने का मौका मिला, लेकिन वह 136 वनडे खेले। 113 पारियों में 1 शतक और 9 अर्धशतक की मदद से 2,336 रन बनाने के अलावा 69 विकेट भी उन्होंने हासिल किया।

बाएं हाथ से बल्लेबाजी और दाएं हाथ से मध्यम गति की तेज गेंदबाजी करने वाले रॉबिन एक बेहतरीन ऑलराउंडर थे। उनकी मौजूदगी टीम में संतुलन बनाती थी। वह किसी भी नंबर पर बल्लेबाजी करने में सक्षम थे। गेंदबाजी और बल्लेबाजी के साथ साथ अपने दौर के वह सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में एक थे। अगर भारतीय क्षेत्ररक्षण के स्तर को सुधारने में कुछ चुनिंदा नाम लिए जाएंगे तो उसमें निश्चित रूप से रॉबिन सिंह का नाम आएगा।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास के बाद वह कोचिंग में सक्रिय रहे हैं। वह भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम, भारत ए टीम, हांगकांग क्रिकेट टीम, वह भारतीय क्रिकेट टीम के फील्डिंग कोच रहे हैं। आईपीएल में वह डेक्कन चार्जेस और मुंबई इंडियंस टीम को कोचिंग दे चुके हैं। रॉबिन आईपीएल के अलावा बीपीएल, एलपीएल और सीपीएल में भी कोचिंग देते रहे हैं।

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Created On :   13 Sept 2025 10:00 PM IST

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