स्वास्थ्य/चिकित्सा: जोड़ों में दर्द के कारण उठना-बैठना भी हो गया है मुश्किल? आजमाएं आयुर्वेदिक इलाज

जोड़ों में दर्द के कारण उठना-बैठना भी हो गया है मुश्किल? आजमाएं आयुर्वेदिक इलाज
आजकल जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन की समस्या बहुत आम हो गई है। पहले सिर्फ उम्रदराज दराज लोगों में ही यह समस्या देखने को मिलती थी, लेकिन आज कम उम्र के लोग भी इस समस्या से पीड़ित हैं।

नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)। आजकल जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन की समस्या बहुत आम हो गई है। पहले सिर्फ उम्रदराज दराज लोगों में ही यह समस्या देखने को मिलती थी, लेकिन आज कम उम्र के लोग भी इस समस्या से पीड़ित हैं।

आयुर्वेद में अर्थराइटिस को एक गंभीर बीमारी के रूप में देखा जाता है। इसके कई प्रकार होते हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (उम्र के साथ होने वाला) और रुमेटाइड आर्थराइटिस (एक ऑटोइम्यून बीमारी) सबसे आम हैं।

आयुर्वेद की मानें तो जब शरीर में पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है, तो अपूर्ण रूप से पचा हुआ भोजन विषैले तत्व के रूप में शरीर में एकत्र होने लगता है। यह टॉक्सिक जब वात दोष के साथ मिलकर शरीर के जोड़ों में जमा हो जाता है, तो उसे आमवात (रूमेटाइड आर्थराइटिस) कहा जाता है। यह स्थिति अत्यंत पीड़ादायक होती है और पूरे शरीर में जकड़न, जोड़ों में सूजन व दर्द पैदा करती है। वहीं, यदि वात दोष रक्त दोष के साथ मिलकर जोड़ों में रुकावट और सूजन पैदा करता है, तो उसे वातरक्त (गाउट) कहा जाता है।

आयुर्वेद में गठिया का उपचार केवल लक्षणों को दबाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य रोग की जड़ पर कार्य करना होता है। इसमें खानपान और जीवनशैली, पंचकर्म चिकित्सा, औषधियों और योग-प्राणायाम के माध्यम से संतुलन स्थापित किया जाता है। सबसे पहले रोगी के पाचन तंत्र को सुधारने के लिए दीपन-पाचन औषधियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि त्रिकटु, हिंग्वाष्टक चूर्ण आदि। इसके बाद शरीर में संचित टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए स्नेहन, स्वेदन और फिर वमन या विरेचन जैसी पंचकर्म प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।

गठिया के उपचार में प्रयुक्त प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों में महारास्नादि क्वाथ, योगराज गुग्गुलु, सिंहनाद गुग्गुलु, अश्वगंधा चूर्ण, दशमूल क्वाथ, और शुद्ध शिलाजीत प्रमुख हैं। ये औषधियां वात दोष का शमन करती हैं, सूजन को कम करती हैं और जोड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाती हैं। इसके साथ ही रोगी को भारी, तैलीय, खट्टे और गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए क्योंकि ये वात और आम को बढ़ाते हैं। गर्म पानी, हल्का सुपाच्य भोजन, और नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।

योग और प्राणायाम भी गठिया के प्रबंधन में सहायक होते हैं। विशेषकर वज्रासन, त्रिकोणासन, और भुजंगासन जैसे आसन जोड़ों की गतिशीलता बनाए रखते हैं और दर्द में राहत देते हैं। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका वात संतुलन में मदद करते हैं। इसके अलावा, एक ही जगह पर अधिक समय बैठने से बचें।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   15 Sept 2025 3:42 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story