रक्षा: मल्टी-डोमेन वारफेयर, ग्रे-जोन स्ट्रेटेजी और समुद्री सुरक्षा पर सैन्य मंथन

मल्टी-डोमेन वारफेयर, ग्रे-जोन स्ट्रेटेजी और समुद्री सुरक्षा पर सैन्य मंथन
अंडमान एवं निकोबार स्थित भारतीय सैन्य कमांड ने मल्टी-डोमेन वारफेयर, ग्रे-जोन स्ट्रेटेजी और समुद्री सुरक्षा के बढ़ते महत्व पर विशेष मंथन किया है। अंडमान एवं निकोबार स्थित भारतीय सैन्य कमांड यानी एएनसी, भारत की एकमात्र संयुक्त सेना कमांड है। इसका मतलब यह है कि यहां तीनों सशस्त्र बल नेवी, आर्मी, एयरफोर्स व इनके अलावा तटरक्षक बल एक संयुक्त कमांड में काम करते हैं।

नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)। अंडमान एवं निकोबार स्थित भारतीय सैन्य कमांड ने मल्टी-डोमेन वारफेयर, ग्रे-जोन स्ट्रेटेजी और समुद्री सुरक्षा के बढ़ते महत्व पर विशेष मंथन किया है। अंडमान एवं निकोबार स्थित भारतीय सैन्य कमांड यानी एएनसी, भारत की एकमात्र संयुक्त सेना कमांड है। इसका मतलब यह है कि यहां तीनों सशस्त्र बल नेवी, आर्मी, एयरफोर्स व इनके अलावा तटरक्षक बल एक संयुक्त कमांड में काम करते हैं।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की मौजूदगी में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के श्री विजया पुरम में सशस्त्र बलों का यह ‘द्वीप दीक्षा संवाद’ आयोजित किया गया।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस वर्ष का विषय रहा, 'सामरिक हब के रूप में एएनसी का विकास और आगे का मार्ग।' यह इस तरह का अब तक का तीसरा संस्करण था।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह सैन्य संवाद अब एक प्रमुख सामरिक मंच के रूप में स्थापित हो चुका है। यहां डिफेंस सर्विस, कूटनीति, शिक्षा-जगत, मीडिया और सामरिक मामलों से जुड़े दिग्गज एक साथ आए। विशेषज्ञों ने भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री और सुरक्षा नीति को आकार देने में एएनसी की अद्वितीय भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

संवाद के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, कमांडर-इन-चीफ एएनसी लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डीके. जोशी मौजूद रहे।

इस अवसर का महत्व सिर्फ उच्च स्तरीय विचार व्यक्त करना भर नहीं था, बल्कि यहां वर्तमान अधिकारियों, पूर्व सैन्य अधिकारियों, विश्लेषकों और चिंतकों ने इस बात पर विचार रखे कि भारत इंडो-पैसिफिक में अपने हितों की रक्षा कैसे कर सकता है। फोरम में भविष्योन्मुख संचालन अवधारणाएं, कॉग्निटिव और साइबर युद्ध, रणनीतिक संदेश पर मंथन किया गया। सहयोग देशों के बीच भारत की ‘प्रथम सुरक्षा भागीदार’ की छवि को और मजबूत बनाने जैसे विषयों पर गहन विमर्श हुआ।

संवाद में शामिल प्रमुख हस्तियों में पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश (से.नि.), पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह (से.नि.), रियर एडमिरल मॉन्टी खन्ना (से.नि.), उप सेनाध्यक्ष (रणनीतिक) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई तथा पूर्व फ्लैग ऑफिसर वाइस एडमिरल अनिल चावला (से.नि.) भी उपस्थित रहे।

औपचारिक सत्रों से आगे बढ़कर यह संवाद दीर्घकालिक रणनीतिक सोच को प्रोत्साहित करने, क्षेत्रीय चुनौतियों पर प्रकाश डालने और भारत की रक्षा एवं सुरक्षा क्षमताओं के भविष्य की दिशा तय करने का मंच बना। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि 2023 में शुरू हुआ ‘द्वीप दीक्षा संवाद’ एएनसी के एक बड़े परिवर्तन को दर्शाता है। यह वह परिवर्तन है जहां यह कमांड भौगोलिक दृष्टि से एक अलग-थलग चौकी से आगे निकलकर एक सशक्त संचालन एवं बौद्धिक केंद्र में विकसित हुई है।

संवाद ने एक बार फिर इस तथ्य को रेखांकित किया कि एएनसी न केवल प्रोफेशनल मिलिट्री एजुकेशन और जॉइंट सर्विस कोऑपरेशन का केंद्र है, बल्कि यह भारत की समुद्री रणनीति को दशकों तक दिशा देने वाला निर्णायक स्तंभ भी है।

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Created On :   21 Sept 2025 5:34 PM IST

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