स्तन कैंसर से उभरी बेंगलुरु की स्वाति सुरमाया ने कैंसर पीड़ितों को दी जीने की आशा

स्तन कैंसर से उभरी बेंगलुरु की स्वाति सुरमाया ने कैंसर पीड़ितों को दी जीने की आशा
बेंगलुरु, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। समाज में स्तन कैंसर से जुड़ी गलत धारणाओं को तोड़ने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए बेंगलुरु की लेखिका स्वाति सुरमाया ने एक अभियान छेड़ा है, जिसके जरिए वह लोगों में स्तन कैंसर के प्रति फैली झूठी भ्रांतियों को दूर करने का काम करेंगी।

बेंगलुरु, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। समाज में स्तन कैंसर से जुड़ी गलत धारणाओं को तोड़ने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए बेंगलुरु की लेखिका स्वाति सुरमाया ने एक अभियान छेड़ा है, जिसके जरिए वह लोगों में स्तन कैंसर के प्रति फैली झूठी भ्रांतियों को दूर करने का काम करेंगी।

उनका मानना है, ''प्रत्येक जीवित बचे व्यक्ति को आगे आकर अपनी कहानी बतानी चाहिए और उस सकारात्मकता से दूसरों को प्रेरित करना चाहिए।''

35 साल की उम्र में स्वाति को स्टेज-2 कैंसर का पता चला था। उन्होंने कई सर्जरी के बाद अपना इलाज पूरा किया। उन्‍होंने मार्च 2021 तक 13 महीने तक अपना इलाज कराया और खतरनाक बीमारी पर विजय प्राप्त की।

दिसंबर 2018 में उन्हें अपने स्तन में एक गांठ का पता चला। फरवरी 2019 में बायोप्सी से पुष्टि हुई कि उनके स्तन में गांठ कैंसर थी। कैंसर अपनी फाइनल स्टेज 2बी था। उन्हें पहले कीमोथेरेपी दी गई, उसके बाद रेडिएशन थेरेपी दी गई। फिलहाल वह नियमित फॉलो-अप पर हैं और अब तक वह बीमारी से मुक्त हैं और अपना सामान्य जीवन जी रही हैं।

स्वाति ने आईएएनएस को बताया कि कई लोग गहन उपचार का सामना नहीं कर पाते हैं। वह आगे कहती हैं, ''एक बार जब आप जब इस बीमारी पर विजय पा लें और जीवित रहें तो इस तरह की कहानियां सामने आनी चाहिए।''

वह कहती हैं, ''यही कारण है कि मैं इसके बारे में ब्लॉग करती हूं, बोलती हूं और लिखती हूं।''

उन्‍होंने कहा, "हम हमेशा पीड़िता को शर्मिंदा करने में लगे रहते हैं।"

लोग अक्सर कहते हैं, ''ओह, उसने जरूर कुछ गलत किया होगा।''

स्वाति के अनुसार, हमारी फिल्मों, लोकप्रिय संस्कृति और मीडिया में कैंसर को जिस तरह से चित्रित किया जाता है, उसके कारण दुर्भाग्य से भारत में कैंसर को तुरंत मौत का कारण बताया जाता है।

आगे कहा, "जो लोग चिकित्सकीय रूप से जागरूक नहीं हैं वे सोचते हैं कि कैंसर का अर्थ मौत है। हमें उस धारणा को रोकना होगा। इसके उपचार भारत में उपलब्ध हैं।"

उन्‍होंने कहा, ''भारत में अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार गुणवत्ता और इलाज उपलब्ध है। पहली बात जो मैं मिथक को दूर करना चाहती हूं वह यह है कि कैंसर का मतलब मौत नहीं है। इसका मतलब यह भी है कि आप इलाज करा सकते हैं और ठीक होने के बाद एक पूर्ण और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।''

वह कहती हैं, "आपको वास्तव में पीड़ित होकर अपना जीवन बिताने की जरूरत नहीं है। इसीलिए मैंने खुद को वहां रखा, जहां लोग मेरी कहानी देख पाए।"

उन्‍होंने कहा, " बीमारी का शुरुआती पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है, और यह आपको उपचार के लिए समय और अधिक विकल्प देता है।

स्वाति सुरमाया सलाह देती हैं, "जब बहुत देर हो जाती है और उनमें गंभीर लक्षण दिखने लगते हैं, वे डॉक्टर को दिखाना नहीं चाहते। मैं इसी बात पर कहना चाहती हूं, यह आपके लिए जीवन का अंत नहीं है। स्वयं के प्रति जागरूक रहें, अपने शरीर और इसमें होने वाले परिवर्तनों के प्रति जागरूक रहें। परीक्षण, उपचार के लिए जाएं और आप एक बेहतर इंसान बनकर लौटें।''

उन्‍होंंने कहा, "एक बार जब आप जीवित बच जाते हैं, तो यह आपको जीवन के बारे मेंं एक नया दृष्टिकोण देता है। आप चीजों को हल्के में नहीं लेते हैं, और आप अपने भगवान को, जिस पर भी आप विश्वास करते हैं, हर दिन धन्यवाद देते हैं।''

स्वाति ने कहा, "मैं ऐसी व्यक्ति थी जो सबसे निचले तबके से थी, मैं धूम्रपान नहीं करती थी, अधिक वजन वाली नहीं थी, मेरी शादी हो गई और सही समय पर मेरा एक बच्चा भी हो गया, कोई उम्र का कारक नहीं था, शराब नहीं पी थी। मेरे परिवार में किसी ने भी कभी धूम्रपान नहीं किया या शराब नहीं पी। मेरे परिवार में इस बीमारी का कोई इतिहास नहीं है।"

स्वाति सलाह देती हैं, "यह एक चिकित्सीय आवश्यकता है। इसे सीटी स्कैन या एक्स-रे की तरह ही अपनाएं। यदि आप कैंसर से नहीं उबरते हैं, तो आपके बच्चे और परिवार के सदस्य पूरी जिंदगी पछतावे के साथ जिएंगे।''

वह आगे कहती हैं कि आपको आगे आकर बताना होगा, तभी वे समझेंगेे।

''मणिपाल अस्पताल, ओल्ड एयरपोर्ट रोड, बेंगलुरु वास्तव में एक अच्छी टीम है। उन्होंने वास्तव में आपकी भलाई में निवेश किया है। वे चाहते हैं कि आप बेहतर हो जाएं। वे आपको जानकारी के साथ सशक्त बनाएंगे।"

उन्‍होंने बताया, "उपचार में सबसे महत्वपूर्ण बात डॉक्टर-रोगी का रिश्ता है। क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है, यह एक दिन की सर्जरी नहीं है, इसमें वर्षों लग जाते हैं। मेरे मामले में, यह 13 महीने था। मणिपाल अस्पताल के अध्यक्ष एचओडी और सलाहकार डॉक्टर शब्बर जवेरी के साथ मेरा यही रिश्ता था। उन्‍होंने मुझे सांत्वना देने के बाद ठीक हो चुके मरीजों की संख्या बताई।''

"जो लोग ठीक हो गए हैं वे बाहर आकर बात नहीं करना चाहते हैं। वे उस आघात को फिर से जीना नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर आप बोलेंगे तो लोग समझ जाएंगे। आपको मीडिया में स्तन कैंसर के बारे में केवल नकारात्मक कहानियां मिलती हैं।

वह कहती हैं, ''यही कारण है कि मैं यहां अपनी कहानी साझा करने आई हूं।''

--आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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Created On :   3 Jan 2024 6:59 PM IST

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