भोजन वितरण हाथियों के आक्रामक व्यवहार को प्रभावित करता है : स्टडी
नई दिल्ली, 1 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक नए अध्ययन के अनुसार, हाथियों के झुंड जंगलों की तुलना में मानवजनित रूप से निर्मित घास के मैदानों में भोजन के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा करते हैं। घास के मैदानों में अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध होने के बावजूद हाथियों में यहां भोजन को लेकर अधिक संघर्ष होता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि मानवीय गतिविधियां पर्यावरणीय प्रभावों और जानवरों के सामाजिक जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। भले ही उनके पास प्रचुर मात्रा में भोजन हो। एशियाई हाथी के कई लक्षण हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे कम आक्रामक प्रतिस्पर्धा से जुड़े हैं। सबसे पहले, उनका प्राथमिक भोजन निम्न गुणवत्ता वाला, बिखरा हुआ संसाधन (घास और वनस्पति पौधे) है और इस प्रकार प्रतिस्पर्धा होने की उम्मीद नहीं है।
उनकी विखंडन-संलयन गतिशीलता उन्हें लचीले ढंग से छोटे समूहों में विभाजित होने और प्रतिस्पर्धा को कम करने का अवसर देती है। वे प्रादेशिक नहीं होते, और उनकी घरेलू सीमाएं बड़े पैमाने पर ओवरलैप कर सकती हैं। यह लक्षण समूह के बीच मुठभेड़ों के दौरान कम आक्रामकता से संबंधित होती है।
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, के वैज्ञानिकों ने हाथियों जैसे मादा-बंधित पशुओं में समूह के भीतर और उनके बीच भोजन वितरण के प्रभाव की जांच की। डॉ. हंसराज गौतम और प्रो. टी.एन.सी. विद्या ने व्यक्तिगत हाथियों की पहचान और अध्ययन करने के लिए 2009 में स्थापित दीर्घकालिक काबिनी हाथी परियोजना से हाथियों के व्यवहार के डेटा को ट्रैक किया।
इन्होंने पता लगाया कि क्या कबीले के भीतर शत्रुतापूर्ण विवाद (एगोनिज्म), और कबीले के बीच एगोनिस्टिक मुठभेड़ हैं। हाथियों में इसकी दर और फैलाव, घास की प्रचुरता, घास के फैलाव और हाथियों के समूह के आकार पर निर्भर है।
उन्होंने काबिनी घास के मैदान और उसके पड़ोस में जंगल से हाथियों के व्यवहार के आंकड़ों का अध्ययन कर पाया कि जंगलों की तुलना में घास के मैदानों में, जहां भोजन की प्रचुरता होती है, हाथियों के झुंड के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है, उनके अध्ययन के निष्कर्ष आंशिक रूप से सामाजिक-पारिस्थितिक मॉडल, महिला सामाजिक संबंधों के पारिस्थितिक मॉडल (ईएमएफएसआर) की भविष्यवाणियों का समर्थन करते हैं, जो बताता है कि खाद्य वितरण मुख्य रूप से समूहों के बीच और भीतर प्रतिस्पर्धा (और शारीरिक संघर्ष) को निर्धारित करता है।
प्रचुर मात्रा में और एकत्रित खाद्य संसाधनों पर संघर्ष बढ़ने की उम्मीद होती है और उन पर समूहों या वैयक्तिक एकाधिकार हो सकता है। रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि संसाधनों की उपलब्धता बढ़ने से अपेक्षा से विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। प्राकृतिक आवासों में तेजी से होने वाले मानवजनित परिवर्तनों, जैसे कि जंगली आबादी की सामाजिक व्यवस्था में मानव हस्तक्षेप, के संदर्भ में इसकी बहुत प्रासंगिकता है।
--आईएएनएस
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Created On :   2 Jan 2024 12:06 AM IST