सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'पकड़वा विवाह' को रद्द करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
नई दिल्ली, 4 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'पकड़वा विवाह' या 'जबरन विवाह' को रद्द करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बुधवार को आदेश दिया कि अगले आदेश तक, लागू फैसले के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक रहेगी।
नवंबर 2023 में, पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी बी बजंथरी और अरुण कुमार झा की पीठ ने कहा कि विवाह का पारंपरिक हिंदू रूप 'सप्तपदी' और 'दत्त होम' के अभाव में वैध विवाह नहीं है।
उच्च न्यायालय ने कहा, "यदि 'सप्तपदी' पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी नहीं माना जाएगा।"
उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में, अपीलकर्ता-सैन्यकर्मी ने तर्क दिया कि उसे बंदूक की नोक पर शादी के लिए मजबूर किया गया था और कहा कि उसे बिना किसी धार्मिक या आध्यात्मिक अनुष्ठान के लड़की के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था।
दूसरी ओर, प्रतिवादी ने कहा कि उनकी शादी जून 2013 में हिंदू रीति-रिवाजों के तहत हुई थी और शादी के समय उसके पिता ने उपहार में सोना, 10 लाख रुपये और अन्य सामग्री दी थी।
'पकड़वा विवाह' में लड़कों को अपहरण करके या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है और फिर रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार लड़की से शादी की जाती है और दूल्हा-दुल्हन बनने वाले लड़के और लड़की की इच्छाओं का कोई महत्व नहीं होता है।
वरिष्ठ नागरिकों के अनुसार इसका मुख्य कारण यह था कि दहेज देने में असमर्थता के कारण लोग अपनी बेटियों की शादी नौकरीपेशा पुरुषों से नहीं कर पाते थे। लेकिन, वे अपनी बेटियों की शादी एक अच्छे परिवार में करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस तरह की शादी की शुरुआत की थी।
--आईएएनएस
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Created On :   4 Jan 2024 3:37 PM IST