म्यांमार के गृह युद्ध ने चीन के सीमा व्यापार को किया प्रभावित
नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)। क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि म्यांमार जुंटा और उसकी उत्तरी सीमा पर जातीय विद्रोहियों के बीच मध्यस्थता के चीन के हालिया प्रयास मुख्य रूप से स्वार्थ से प्रेरित हैं, लेकिन संघर्ष पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
वीओए ने विशेषज्ञों का हवाला देते हुए बताया कि हाल ही में 20 दिसंबर 2023 को कुनमिंग में आयोजित सेना और थ्री ब्रदरहुड एलायंस के बीच शांति वार्ता आयोजित करने में चीन का लक्ष्य चीनी नागरिकों को पीड़ित करने वाले साइबर धोखाधड़ी अभियानों को खत्म करना और चीन-म्यांमार सीमा पर व्यापार को स्थिर करना है।
स्टिम्सन सेंटर में चीनी कार्यक्रम के निदेशक युन सन ने एक साक्षात्कार में कहा, "इसलिए आर्थिक हित या सीमा व्यापार प्रभावित हो रहा है यह निश्चित है।''
लेकिन साइबर अभियान की तुलना में यह एक मामूली विचार है। इसे जितनी जल्दी पूरा किया जा सकेगा उतनी जल्दी संघर्ष विराम होगा, और उतनी ही जल्दी स्थिरता बहाल की जा सकेगी।
वीओए की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के एक अनुभवी घरेलू राजनीतिक विश्लेषक थान सोए निंग के मुताबिक, सशस्त्र संघर्ष के कारण चीन और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगभग एक अरब डॉलर का दैनिक नुकसान हुआ है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह नुकसान चीन से ज्यादा म्यांमार के लिए नुकसानदायक है।
सीमावर्ती क्षेत्र से माल का प्रवाह चीन के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों की तुलना में ज्यादा नहीं है। हमारा देश अधिक पीड़ित है। बीजिंग ने इस बात का ध्यान रखा है कि बातचीत के बारे में अपने बयानों में वह समस्याओं को हल करने और बातचीत के माध्यम से क्षेत्र में स्थिरता लाने की अपनी सार्वजनिक नीति के अनुरूप हो।
चीन के विदेश मंत्रालय ने 28 दिसंबर 2023 को एक औपचारिक बयान में कहा था कि देश को उम्मीद है म्यांमार में संबंधित पक्ष अधिकतम संयम बरतेंगे, सक्रिय रूप से जमीनी स्तर पर स्थिति को कम करेंगे, साथ मिलकर उत्तरी म्यांमार में स्थिति को सँभालेंगे और म्यांमार में चीनी परियोजनाओं और कर्मियों की सुरक्षा की रक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करेंगे।
वीओए की रिपोर्ट के अनुसार, युन सुन ने कहा कि चीन की मुख्य चिंता म्यांमार में सैन्य परिषद और जातीय बलों के बीच क्षेत्रीय नियंत्रण के मुद्दे को हल करना नहीं है, बल्कि चीन-म्यांमार सीमा पर स्थित साइबर घोटालों पर नकेल कसना है।
यह चीन के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। पिछले साल अक्टूबर में 10/27 के रूप में जाने जाने वाले एक बड़े हमले के बाद से जुंटा विरोधी पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज आंदोलन ने गति पकड़ ली है, जिसने उत्तर में बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।
दोनों विश्लेषकों का मानना है कि सैन्य शासन अब रक्षात्मक है और अधिक संभावना है कि वह संघर्ष विराम के पक्ष में है। लेकिन थान सो निंग ने भविष्यवाणी की कि विद्रोही अपना आक्रमण जारी रखेंगे और पूरे उत्तरी शान राज्य में लड़ाई तेज़ होने की संभावना है।
उन्होंने कहा, "चीन बैठकर इस मुद्दे पर नजर रखेगा कि म्यांमार में सैन्य परिषद बनाम स्प्रिंग क्रांति बलों के बीच कौन जीतेगा।"
वीओए की रिपोर्ट के अनुसार, जो कोई भी बर्मा में सत्ता संभालेगा, बीजिंग उसके पास आएगा। वह सत्तारूढ़ इकाई के साथ सहयोग करेंगे और बेल्ट एंड रोड पहल सहित अपनी योजना जारी रखेंगे।
--आईएएनएस
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Created On :   7 Jan 2024 5:16 PM IST