सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के वित्त में केंद्र के हस्तक्षेप के खिलाफ केरल के मुकदमे पर समन जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के वित्त में केंद्र के हस्तक्षेप के खिलाफ केरल के मुकदमे पर समन जारी किया
नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल सरकार द्वारा राज्य के वित्त में केंद्र पर हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए दायर एक मूल मुकदमे में केंद्रीय वित्त मंत्रालय को समन जारी किया।

नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल सरकार द्वारा राज्य के वित्त में केंद्र पर हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए दायर एक मूल मुकदमे में केंद्रीय वित्त मंत्रालय को समन जारी किया।

जस्टिस सूर्यकांत और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने मुकदमे में अंतरिम राहत की मांग करने वाले आवेदन पर नोटिस भी जारी किया।

मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।

संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर एक मुकदमे में केरल सरकार ने संविधान के कई प्रावधानों के तहत अपने स्वयं के वित्त को विनियमित करने के लिए राज्य की शक्तियों में हस्तक्षेप करने के केंद्र सरकार के अधिकार पर सवाल उठाए।

वकील सी.के. ससी के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मार्च 2023 में जारी पत्रों के माध्यम से और राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम की धारा 4 में किए गए संशोधनों के माध्यम से शुद्ध उधार सीमा लगाकर और कम करके राज्य के वित्त में हस्तक्षेप किया है। शुद्ध उधार सीमा, जिसमें राज्य के "उधार" के पहलू शामिल हैं, जो अन्यथा, "उधार" नहीं हैं जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 293 के तहत विचार किया गया है।

इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 293(3), अनुच्छेद 293(4) के साथ पठित शक्तियों के प्रयोग की आड़ में शर्तें लगाईं, जो राज्य की विशेष संवैधानिक शक्तियों को कम करती हैं।

इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि राज्य के पास अपने बजट और उधार की तैयारी और प्रबंधन के माध्यम से अपने वित्त को विनियमित करने की विशेष शक्ति है और "उधार लेने की सीमा में कमी का राज्य पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ेगा और दीर्घकालिक आर्थिक नुकसान होगा"।

मुकदमे में कहा गया है, "प्रतिवादी ने, विवादित संशोधनों के माध्यम से, वादी राज्य के विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण किया है क्योंकि 'राज्य का सार्वजनिक ऋण' संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत सातवीं अनुसूची में विशेष रूप से राज्य सूची का विषय है।"

इसमें कहा गया है कि आक्षेपित आदेश और आक्षेपित संशोधन राज्य पर अपने स्वयं के वित्त को उधार लेने और विनियमित करने के लिए असंवैधानिक सीमाएँ और बाधाएँ पैदा करते हैं, इसलिए संविधान के तहत राजकोषीय संघवाद के प्रावधानों और सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। याचिका में कहा गया है कि राज्य के पास अनुच्छेद 199 के तहत अपनी उधारी पर कानून बनाने और संविधान के अनुसार उसका प्रबंधन करने की संवैधानिक शक्ति है।

--आईएएनएस

एकेजे

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   12 Jan 2024 9:30 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story