राष्ट्रीय: कर्नाटक सरकार के दिल्ली विरोध पर बीजेपी ने कहा, 'असफलताओं को छिपाने के लिए चली जा रही ये चाल'
बेंगलुरु, 3 फरवरी (आईएएनएस)। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कर्नाटक के साथ "सौतेले" व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने 7 फरवरी को नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की, जिसके चलते सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक खींचतान बढ़ गई है।
बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस सांसद डीके सुरेश के दक्षिणी राज्य को एक अलग देश बनाने वाले बयान और हनुमान ध्वज हटाने के विवाद से हुए नुकसान पर कांग्रेस पर्दा डालना चाहती है।
कांग्रेस सांसद डीके सुरेश के 'दक्षिण भारत के लिए अलग राष्ट्र' वाले बयान और हनुमान ध्वज हटाने के विवाद से हुए नुकसान को कांग्रेस छिपाना चाहती है.
सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक बीजेपी ने 7 फरवरी को कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित विरोध को राम मंदिर उद्घाटन सहित राज्य में कई घटनाओं पर अपनी गंभीर प्रतिक्रिया को कवर करने के लिए एक सोचा-समझा प्लान करार दिया है।
कांग्रेस पार्टी अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भाजपा को मिली लाभप्रद स्थिति से परेशान है। चूंकि सीएम सिद्धारमैया खेमे के मंत्रियों द्वारा भगवान राम और अयोध्या में मंदिर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों की भारी आलोचना हुई, इसलिए उन्हें 'तिलक' लगाने के लिए मजबूर किया गया और दावा किया गया कि वह भी एक भक्त हैं।
कांग्रेस सरकार मांड्या जिले के केरागोडु गांव में हनुमान ध्वज को हटाने के कारण हुए झटके से निपटने की कोशिश कर रही है, इसलिए बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेतृत्व में हिंदू संगठनों ने राज्यव्यापी हनुमान ध्वज अभियान शुरू किया है और हर घर में भगवा झंडा फहराने का लक्ष्य रखा है।
भाजपा के सूत्रों ने कहा कि इस आंदोलन से भगवा पार्टी को प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय के गढ़ माने जाने वाले दक्षिण कर्नाटक के जिलों में पैठ बनाने में मदद मिलेगी। चूंकि जद (एस), जो इस क्षेत्र में अपनी मुख्य ताकत पाता है, भाजपा की सहयोगी है, भाजपा आत्मविश्वास से भरी हुई है।
उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने शुक्रवार को कहा, ''मैं कर्नाटक की तुलना गुजरात से नहीं कर रहा हूं। हम सिर्फ अपना उचित हिस्सा मांग रहे हैं। हमने सोचा कि 'डबल इंजन सरकार' ने कर्नाटक की मदद की होगी। लेकिन एक विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि केंद्रीय बजट का आकार दोगुना होने के बावजूद राज्य को 62,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।''
''कर्नाटक को केंद्रीय बजट में एक कच्चा सौदा मिल रहा है। इससे राज्य को पिछले 5 सालों में लगभग 62,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। 7 फरवरी को होने वाले विरोध प्रदर्शन में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कैबिनेट मंत्री, विधायक और एमएलसी भी हिस्सा लेंगे।
हमने विरोध प्रदर्शन स्थल के बारे में केंद्र को लिखा है।''
उन्होंने विपक्षी दलों के विधायकों और एमएलसी से भी राज्य के लिए न्याय की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, ''केंद्रीय बजट का आकार जो 2018-19 में 24.5 लाख करोड़ था वह 2023-24 में दोगुना होकर 45 लाख करोड़ हो गया है लेकिन राज्य को इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। हालांकि बजट का आकार दोगुना हो गया है, लेकिन कर्नाटक के लिए अनुदान 2018-19 में 46,000 करोड़ रुपये से थोड़ा बढ़कर 2022-23 में 50,000 करोड़ रुपये हो गया है।''
भाजपा कर्नाटक के महासचिव वी. सुनीलकुमार ने राज्य को खराब आवंटन को लेकर नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने के कांग्रेस सरकार के कदम को हास्यास्पद करार दिया।
उन्होंने कहा, ''इरादा कांग्रेस सांसद डीके सुरेश के 'देश को बांटने वाले' बयान से ध्यान भटकाने का है। मैं कांग्रेस सरकार से 2004 से 2014 के यूपीए शासनकाल और 2014 से आज तक पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के शासनकाल के दौरान कर्नाटक राज्य को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदान पर एक श्वेतपत्र लाने का आग्रह करता हूं।''
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Created On :   3 Feb 2024 3:06 PM IST