शिक्षा: बिहार के मदरसों में तालीमुल इस्लाम नामक पुस्तक पढ़ाए जाने पर बिफरे प्रियंक कानूनगो
पटना, 19 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के मदरसों में ‘तालिमुल इस्लाम’ नामक पुस्तक में गैर-हिंदुओं को काफिर बताया गया है। यह पुस्तक बड़े पैमाने पर बिहार के मदरसों में बच्चों को पढ़ाई जा रही है।
वहीं इन मदरसों में हिंदू बच्चों के भी दाखिला लेने की खबर प्रकाश में आई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा, “तालिमुल इस्लाम किताब को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इसे किफायतुल्लाह साहब ने लिखा है। अभी बिहार के मदरसों में बच्चों को बड़े पैमाने पर पढ़ाया जा रहा है। इन मदरसों में गैर-हिंदुओं के भी दाखिला लेने की खबरें हैं। इस पुस्तक को बिहार राज्य मदरसा बोर्ड ने सलेक्ट किया है। जब आप वेबसाइट पर जाते हैं और इस लिंक को क्लिक करते हैं, तब यह लिंक आपको पाकिस्तान में रीडायरेक्ट करता है और जब हम उसका अंग्रेजी अनुवाद पढ़ते हैं तो उसके पेज नंबर 20 और 22 में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जो लोग एक से ज्यादा भगवान को मानते हैं, वो काफिर हैं। बिहार सरकार ने भी माना है कि वहां मान्यता प्राप्त मदरसों में बड़े पैमाने पर हिंदू बच्चे भी पढ़ रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अब इसमें हिंदू बच्चों को ये बताना कि वो एक से ज्यादा भगवान में विश्वास करेंगे तो काफिर कहलाएंगे, एकदम गलत बात है। ऐसे में बच्चों में मनोवैज्ञानिक रूप से गलत असर पड़ेगा। उनके विकास में बाधा उत्पन्न होगी। उनके अंदर एक हीन भावना का विकास होगा। हम राज्य सरकार से लगातार कह रहे हैं कि इन हिंदू बच्चों को मदरसों से बाहर कीजिए। इसमें सरकारी फंडिंग के साथ ही यूनिसेफ का पैसा भी शामिल है। यूनिसेफ तो बच्चों के हित व अधिकारियों के लिए काम करती है। ऐसे में कैसे यूनिसेफ इस तरह का सिलेबस तैयार कर दे सकती है। यूनिसेफ ने उन पैसों का गलत इस्तेमाल किया है, जो उन्हें पूरी दुनिया से मिले हैं। इसकी जांच यूएन को करनी चाहिए। हम फिलहाल मदरसे की पूरी अध्ययन सामग्री की जांच कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “मदरसा बोर्ड बंद हो जाने चाहिए। यह वो स्थान नहीं है जहां बच्चों को बुनियादी शिक्षा मिले। शिक्षा का अधिकार प्रत्येक बच्चे का बुनियादी अधिकारी है।”
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Created On :   19 Aug 2024 3:11 PM IST