विज्ञान/प्रौद्योगिकी: हर्पीस वायरस से डिमेंशिया का खतरा हो सकता है दोगुना शोध
लंदन, 15 फरवरी (आईएएनएस)। जिन लोगों को अपने जीवन में कभी भी हर्पीस वायरस का संक्रमण हुआ है, उनमें डिमेंशिया विकसित होने की संभावना उन लोगों के मुकाबले अधिक होती है, जिन्हें कभी भी यह संक्रमण नहीं हुआ है।यह बात एक शोध में सामने आई है।
स्वीडन में उप्साला विविद्यालय द्वारा 70 वर्ष से अधिक उम्र के 1,000 लोगों पर आधारित, 15 वर्षों तक किए गए शोध से इस बात की पुष्टि होती है कि हर्पीस डिमेंशिया के लिए एक संभावित जोखिम हो सकता है।
जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिजीज में प्रकाशित परिणामों से पता चला है कि जो लोग अपने जीवन में किसी भी समय हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस से संक्रमित हुए थे, उनमें उन लोगों की तुलना में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) विकसित होने की संभावना दोगुनी थी जो कभी संक्रमित नहीं हुए थे।
हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस बहुत आम है और इसका संक्रमण आजीवन रहता है। लेकिन इसके लक्षण जीवन में कभी भी आ सकते हैं। कई लोगों को कभी भी उनके संक्रमण से जुड़ा कोई लक्षण नहीं मिलता है।
उप्साला में एक मेडिकल छात्रा एरिका वेस्टिन ने कहा, ''यह परिणाम पिछले अध्ययनों की पुष्टि करते हैं। शोध में अधिक से अधिक सबूत सामने आ रहे हैं जो हमारे निष्कर्षों की तरह हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस को डिमेंशिया के लिए एक जोखिम की ओर इशारा करते हैं।
वेस्टिन ने कहा, ''इस विशेष अध्ययन की खास बात यह है कि इसमें भाग लेने वाले लगभग सभी लोग एक ही उम्र के हैं, जो परिणामों को और अधिक विश्वसनीय बनाता है , क्योंकि उम्र के अंतर डिमेंशिया के विकास से जुड़े होते हैं, जो परिणामों को भ्रमित नहीं कर सकते हैं।
दुनियाभर में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से प्रभावित हैं। बढ़ती उम्र और एपोलिपोप्रोटीन ई4 जोखिम जीन का होना पहले से ही ज्ञात जोखिम कारक हैं। यह जांचने के लिए पहले भी शोध किया जा चुका है कि क्या हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस भी डिमेंशिया के लिए एक संभावित जोखिम कारक हो सकता है, लेकिन अब इस अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है।
शोध में कहा गया है कि क्या हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के खिलाफ पहले से ही ज्ञात दवाएं डिमेंशिया के जोखिम को कम कर सकती हैं, इस पर काम करना अभी बाकी है।
शोधपत्र में इस बात की जांच करने की जरूरत बताई गई है कि क्या हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के खिलाफ पहले से ही ज्ञात दवाएं डिमेंशिया के जोखिम को कम कर सकती हैं, साथ ही कहा कि नए टीके इसे विकसित करने की संभावना को कैसे कम कर सकते हैं, इसकी भी जांच की जरूरत है।
वेस्टिन ने कहा, ''परिणाम सामान्य एंटी-हर्पीज वायरस दवाओं का उपयोग करके शुरुआती चरण में बीमारी का इलाज करने या बीमारी को होने से पहले रोकने की दिशा में डिमेंशिया अनुसंधान को आगे बढ़ा सकते हैं।''
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Created On :   28 Feb 2024 1:01 PM IST