पाकिस्तान के मानवाधिकार समूहों ने सरकार पर मीडिया और एनजीओ के खिलाफ बदनामी अभियान चलाने का लगाया आरोप

पाकिस्तान के मानवाधिकार समूहों ने सरकार पर मीडिया और एनजीओ के खिलाफ बदनामी अभियान चलाने का लगाया आरोप
पाकिस्तान में कई मानवाधिकार संगठनों और वकालत समूहों ने देश के मीडिया और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के खिलाफ बदनामी अभियान चलाने के लिए शहबाज शरीफ की सरकार की आलोचना की और इस हरकत को "बेहद गैरजिम्मेदाराना" बताया।

इस्लामाबाद, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान में कई मानवाधिकार संगठनों और वकालत समूहों ने देश के मीडिया और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के खिलाफ बदनामी अभियान चलाने के लिए शहबाज शरीफ की सरकार की आलोचना की और इस हरकत को "बेहद गैरजिम्मेदाराना" बताया।

पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने कई अन्य वकालत समूहों और महिला एक्शन फोरम - लाहौर, शिरकत गाह (महिला शोध केंद्र), दक्षिण एशिया भागीदारी-पाकिस्तान, सिमोर्ग एक गैर-सरकारी नारीवादी कार्यकर्ता संगठन और कानूनी सहायता, सहायता और निपटान केंद्र (सीएलएएएस) समेत अधिकार निकायों ने पाकिस्तानी सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित हाल के विज्ञापन की कड़ी निंदा की। दरअसल, पाकिस्तानी सरकार के इन विज्ञापनों में पत्रकारों, गैर-सरकारी संगठनों में काम करने वालों और 'फ्रीलांस' शोधकर्ताओं को यह दिखाया गया है कि वे 'दुश्मन का प्रचार' करने वाले संभावित साधन हो सकते हैं।

इन समूहों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, "नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं और स्वतंत्र मीडिया को सूचना युद्ध का हिस्सा बताना बेहद गैर-जिम्मेदाराना है और उन स्वतंत्रताओं को कमजोर करता है जो एक लोकतांत्रिक समाज को बनाए रखती हैं। पाकिस्तान में स्वतंत्र पत्रकार और गैर-सरकारी संगठन पहले से ही अत्यधिक प्रतिबंधात्मक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, जिसमें लगातार उत्पीड़न, पंजीकरण और रिपोर्टिंग की कठिन जरूरतें, धन की मनमानी जांच और लगातार बढ़ता हुआ असुरक्षित माहौल शामिल है।"

बयान में आगे कहा गया, "उनके काम को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताना उन लोगों के लिए और भी खतरनाक है जो अधिकारों की रक्षा और जनता को सूचित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसी चीजों का इस्तेमाल पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों पर निगरानी, ​​धमकी और यहां तक कि शारीरिक हमलों को सही ठहराने के लिए किया गया है।"

समूहों ने इस बात पर खास जोर दिया कि नागरिकों से बिना किसी कानूनी सुरक्षा उपाय के 'संदिग्ध' एनजीओ कार्यकर्ताओं या पत्रकारों की शिकायत करने का आग्रह करना, मनमाने ढंग से निशाना बनाए जाने, उत्पीड़न और सेंसरशिप को वैध बनाने के जोखिम को बढ़ाता है।

इसके अलावा, समूहों ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे डिजिटल तकनीकों को बड़े पैमाने पर "फंसाने के साधन" के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 'अशांति, भय और अराजकता' फैलाना है, इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम और उसके संशोधनों सहित पाकिस्तान के अन्य कानूनों द्वारा पहले से ही स्थापित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पड़ने वाले भयावह प्रभाव को और बढ़ाना है।

समूह ने कहा, "यह स्वतंत्र रिपोर्टिंग को भी हतोत्साहित करेगा और कई संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण मानवीय और अधिकार-आधारित सेवाओं में बाधा उत्पन्न करेगा।"

इस समूह ने पाकिस्तानी सरकार से अपने अभियान को तुरंत वापस लेने, वैध नागरिक समाज के कार्यों को शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के साथ जोड़ने से बचने और एक ऐसे सक्षम वातावरण को प्राथमिकता देने का आह्वान किया जहां पत्रकार और मानवाधिकार संगठन देश भर में सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   3 Oct 2025 12:58 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story