'कांतारा चैप्टर 1' की सफलता के लिए मां मुंडेश्वरी का धन्यवाद करने पहुंचे ऋषभ शेट्टी, राज्याभिषेक में हुए शामिल

कांतारा चैप्टर 1 की सफलता के लिए मां मुंडेश्वरी का धन्यवाद करने पहुंचे ऋषभ शेट्टी, राज्याभिषेक में हुए शामिल
भारतीय सिनेमा में जब भी गहराई से जुड़ी लोककथाओं, परंपराओं और संस्कृति की बात होती है, तो 'कांतारा' का नाम जरूर सामने आता है। साल 2022 में आई इस फिल्म ने दर्शकों को एक अलग ही आध्यात्मिक और भावनात्मक दुनिया से जोड़ा।

मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा में जब भी गहराई से जुड़ी लोककथाओं, परंपराओं और संस्कृति की बात होती है, तो 'कांतारा' का नाम जरूर सामने आता है। साल 2022 में आई इस फिल्म ने दर्शकों को एक अलग ही आध्यात्मिक और भावनात्मक दुनिया से जोड़ा।

इसकी गूंज इतनी दूर तक पहुंची कि अब इसके प्रीक्वल 'कांतारा: चैप्टर 1' ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म की सफलता के बाद अभिनेता और निर्देशक ऋषभ शेट्टी ने हाल ही में बिहार के प्राचीन और ऐतिहासिक मुंडेश्वरी मंदिर का दौरा किया।

ऋषभ शेट्टी की मंदिर यात्रा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं, जिनमें वह माता की आरती करते, श्रद्धा से सिर झुकाते और मंदिर के पास खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने मंदिर में मां मुंडेश्वरी के 'राज्याभिषेक' अनुष्ठान में भाग लिया और वहां की आध्यात्मिक शांति में खुद को पूरी तरह डुबो दिया।

ऋषभ के एक करीबी मित्र ने आईएएनएस से बातचीत में बताया, ''यह दुनिया का सबसे पुराना मंदिर है और 'कांतारा' भारत की सबसे गहरी धार्मिक परंपराओं में से एक पर आधारित है। फिल्म का संबंध माता चामुंडी से भी है, इसलिए ऋषभ अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते थे।''

मुंडेश्वरी देवी मंदिर, जो 1915 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है, बिहार के कैमूर जिले में स्थित है और यह देवी दुर्गा और भगवान शिव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को दुनिया का सबसे पुराना कार्यरत हिन्दू मंदिर माना जाता है, जहां आज भी नियमित रूप से पूजा होती है।

'कांतारा: चैप्टर 1' एक पौराणिक एक्शन फिल्म है, जिसमें ऋषभ शेट्टी मुख्य भूमिका के साथ-साथ निर्देशन की बागडोर भी संभालते हैं। इस बार उनके साथ कलाकार जयराम, रुक्मिणी वसंत और गुलशन देवैया भी नजर आ रहे हैं। फिल्म की कहानी 2022 की 'कांतारा' से पहले की घटनाओं को दिखाती है, जो कर्नाटक की तटीय भूमि, बूताकोला परंपरा और उसके पीछे की कथाओं पर आधारित है।

फिल्म 2 अक्टूबर को कन्नड़, हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली और अंग्रेजी में एक साथ रिलीज हुई और इसे हर भाषा के दर्शकों से भरपूर सराहना मिल रही है।

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Created On :   18 Oct 2025 12:48 PM IST

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