राष्ट्रीय: पीएम मोदी की अप्रूवल रेटिंग फरवरी में बढ़कर 75% हो गई सर्वेक्षण
नई दिल्ली/मुंबई, 6 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपना काम संभालते हुए फरवरी में 75 फीसदी की अप्रूवल रेटिंग हासिल की, जबकि सितंबर 2023 (आखिरी लहर) में यह 65 फीसदी थी। यह आंकड़ा इप्सोस इंडियाबस पीएम अप्रूवल रेटिंग सर्वे में सामने आया है।
दिलचस्प बात यह है कि कुछ शहरों और समूहों ने पीएम मोदी को पीएम के रूप में उनके प्रदर्शन के लिए अत्यधिक उच्च रेटिंग दी - उत्तर क्षेत्र (92 प्रतिशत), पूर्वी क्षेत्र (84 प्रतिशत) और पश्चिम क्षेत्र (80 प्रतिशत); टियर 1 (84 प्रतिशत), टियर 3 (80 प्रतिशत) शहर; 45+ आयु वर्ग (79 प्रतिशत), 18-30 वर्ष (75 प्रतिशत), 31-45 वर्ष (71 प्रतिशत); सेक्टर बी (77 प्रतिशत), सेक्टर ए (75 प्रतिशत), सेक्टर सी (71 प्रतिशत); महिलाएं (75 प्रतिशत), पुरुष (74 प्रतिशत), माता-पिता/गृहिणी (78 प्रतिशत), नियोजित अंशकालिक/पूर्णकालिक (74 प्रतिशत) आदि।
सर्वेक्षण में महानगरों (64 प्रतिशत), टियर 2 (62 प्रतिशत) शहरों और स्व-रोजगार वाले (59 प्रतिशत) लोगों में थोड़ी कम रेटिंग दर्ज की गई। सबसे कम रेटिंग देश के दक्षिण क्षेत्र (35 प्रतिशत) से आई।
इप्सोस इंडिया कंट्री सर्विस लाइन लीडर - सार्वजनिक मामले, कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा, ईएसजी और सीएसआर पारिजात चक्रवर्ती ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन (92 प्रतिशत) जैसी कुछ बड़ी पहल उत्तरी क्षेत्र में अनुमोदन रेटिंग इसे मान्य करती है, संयुक्त अरब अमीरात में मंदिर, किसी भी पश्चिमी शक्ति के प्रभाव से स्वतंत्र वैश्विक मुद्दों पर रुख अपनाना, अंतरिक्ष में पहल, भारत में जी20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करना और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना, सभी ने प्रधानमंत्री की अनुमोदन रेटिंग में बढ़ोतरी में योगदान दिया है।"
मोदी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में कैसा प्रदर्शन किया है?
सर्वेक्षण से पता चलता है कि जिन क्षेत्रों में मोदी सरकार ने अच्छा प्रदर्शन किया है, वे मुख्य रूप से शिक्षा, स्वच्छता और स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के क्षेत्र में हैं। अन्य क्षेत्रों में सरकार असफल हुई है, मगर विफल नहीं हुई है।
उत्तरदाताओं द्वारा दिए गए अंक - प्रदूषण और पर्यावरण (56 प्रतिशत), गरीबी (45 प्रतिशत), मुद्रास्फीति (44 प्रतिशत), बेरोजगारी (43 प्रतिशत) और भ्रष्टाचार (42 प्रतिशत)।
बिदुवार विवरण :
* शिक्षा व्यवस्था : 76 फीसदी
* स्वच्छता एवं साफ-सफाई : 67 प्रतिशत
* स्वास्थ्य सेवा प्रणाली : 64 प्रतिशत
* प्रदूषण एवं पर्यावरण : 56 प्रतिशत
* गरीबी : 45 फीसदी
*मुद्रास्फीति : 44 फीसदी
* बेरोज़गारी : 43 प्रतिशत
* भ्रष्टाचार : 42 फीसदी
चक्रवर्ती ने कहा, "स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, लिंग, कौशल विकास आदि से जुड़ी पहल रंग ला रही हैं और पहले से ही सकारात्मक माहौल में मजबूत हवाएं प्रदान कर रही हैं।"
कार्यप्रणाली
इप्सोस इंडियाबस एक मासिक अखिल भारतीय ऑम्निबस है (कई ग्राहक सर्वेक्षण भी चलाता है) जो एक संरचित प्रश्नावली का उपयोग करता है और इप्सोस इंडिया द्वारा सेक्टर ए, बी और सी घरों के 2,200+ उत्तरदाताओं के बीच विविध विषयों पर आयोजित किया जाता है, जिसमें देश के सभी चार जोन में दोनों लिंगों के वयस्कों को शामिल किया जाता है। .
सर्वेक्षण महानगरों, टियर 1, टियर 2 और टियर 3 शहरों में आयोजित किया जाता है, जो शहरी भारतीयों के बारे में अधिक मजबूत और प्रतिनिधि दृष्टिकोण प्रदान करता है। उत्तरदाताओं से आमने-सामने और ऑनलाइन सर्वेक्षण किया गया।
सर्वेक्षण में प्रत्येक जनसांख्यिकीय खंड के लिए शहर-स्तरीय कोटा शामिल है, जो सुनिश्चित करता है कि लहरें समान हैं और कोई अतिरिक्त नमूना त्रुटियां नहीं हैं। राष्ट्रीय औसत पर पहुंचने के लिए डेटा को जनसांख्यिकी और शहर-वर्ग की आबादी के आधार पर महत्व दिया जाता है।
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Created On :   6 March 2024 11:52 AM IST