त्रिपुरा के सीएम का सांस्कृतिक क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर, 'संस्कृति हाट' के विकास के लिए अनुदान की घोषणा

त्रिपुरा के सीएम का सांस्कृतिक क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर, संस्कृति हाट के विकास के लिए अनुदान की घोषणा
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने रविवार को कहा कि स्थानीय प्रतिभाओं को पोषित करने और समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने के लिए राज्य के सांस्कृतिक क्षेत्र को और अधिक विकास की आवश्यकता है।

अगरतला, 2 नवंबर (आईएएनएस)। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने रविवार को कहा कि स्थानीय प्रतिभाओं को पोषित करने और समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने के लिए राज्य के सांस्कृतिक क्षेत्र को और अधिक विकास की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने पुराने अगरतला ब्लॉक में 'संस्कृति हाट' के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 50.25 लाख रुपए के अनुदान की भी घोषणा की। इस हाट की स्थापना एक स्थानीय सांस्कृतिक समूह ने पश्चिम बंगाल के बोलपुर स्थित शांति निकेतन के प्रसिद्ध सोनाझुरी हाट से प्रेरित होकर की थी।

मुख्यमंत्री पश्चिम त्रिपुरा के नंदननगर के सेन पाड़ा में 'संस्कृति हाट' (सांस्कृतिक प्रदर्शन स्थल) के 100 सप्ताह पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गए थे। उन्होंने कहा कि इस अनोखे 'संस्कृति हाट' का आधिकारिक उद्घाटन 10 दिसंबर, 2023 को इसी स्थान पर किया गया था।

उन्होंने कहा कि मुझे भी उस समय यहां आने का सौभाग्य मिला था। मुझे सौवें हाट में फिर से उपस्थित होकर बहुत खुशी हो रही है। सभी बाधाओं को दरकिनार करते हुए आयोजक पिछले 99 हफ्तों से नियमित रूप से इस साप्ताहिक हाट का आयोजन कर रहे हैं। यह एक भी हफ्ते के लिए बंद नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि 'संस्कृति हाट' में आयोजित होने वाली गतिविधियों की इस शृंखला से संस्कृति प्रेमियों को बहुत लाभ हुआ है।

सीएम ने कहा कि अब त्रिपुरा, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के लोग इस 'संस्कृति हाट' के बारे में जानते हैं। यह एक बहुत ही लोकप्रिय आयोजन बन गया है। इसे देखने के लिए विभिन्न स्थानों से लोग आते हैं। इसे लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया पहले ही देखने को मिल चुकी है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को 'लखपति दीदी' बनाने पर जोर दिया है।

उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में 1,00,8000 लखपति दीदी बनाई जा चुकी हैं। लगभग 4,85,000 महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ चुकी हैं। यह आय का एक वैकल्पिक स्रोत है। हम देख सकते हैं कि यह सांस्कृतिक बाजार केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता के लिए भी है। लगभग 40 से 50 परिवार स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर अपने उत्पाद बनाकर और खाद्य पदार्थ बेचकर अपनी आजीविका में सुधार कर पाए हैं। इसके साथ ही, स्थानीय समाज को भी आर्थिक लाभ हो रहा है। इससे सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हममें से कोई भी संस्कृति के बिना जीवित नहीं रह सकता।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   2 Nov 2025 11:41 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story