पुतिन के भारत दौरे की क्रेमलिन ने शुरू की तैयारी, दोनों देशों की दशकों पुरानी दोस्ती बेहद खास
मॉस्को, 10 नवंबर (आईएएनएस)। भारत और रूस के बीच की दोस्ती दशकों पुरानी और अटूट है। वहीं, दोनों देश व्यापारिक संबंधों को भी मजबूती देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रहे हैं। भारत और रूस के बीच की दोस्ती का उदाहरण अक्सर वैश्विक मंचों पर देखने को मिलता है। हाल ही में चीन में हुए एससीओ सम्मेलन में भी यह दिखा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत का दौरा करेंगे। इसे लेकर अभी से तैयारी शुरू हो गई है।
रूसी सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस ने बताया कि सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "हम इस समय पुतिन की भारत यात्रा की सक्रिय रूप से तैयारी कर रहे हैं, जो इस साल के अंत से पहले प्रस्तावित है। हमें उम्मीद है कि यह एक सार्थक यात्रा होगी।"
7 नवंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको के साथ बैठक की और बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
बैठक को लेकर जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया, "रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको से मिलकर अच्छा लगा। हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। साथ ही महत्वपूर्ण क्षेत्रीय, वैश्विक और बहुपक्षीय घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।"
भारत और रूस के बीच दोस्ती का इतिहास काफी पुराना है। खासतौर से रक्षा के मामले में रूस भारत के साथ दशकों से खड़ा है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की शुरुआत 1950-60 के दशक में हुई थी।
भारत एक तरफ चीन और दूसरी तरफ पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से मुकाबला कर रहा है। दो छोर से भारत के लिए लगातार चुनौतियां खड़ी रहती हैं, हालांकि, रूस एक मित्र राष्ट्र होने के नाते भारत के साथ खड़ा है। रूस रक्षा और रणनीतिक सहयोग के जरिए भारत का साथ दे रहा है। भारत की डिफेंस ताकत को बढ़ाने में रूस की मिग-21 से लेकर एस-400 मिसाइल, सुखोई जेट और टी-90 टैंक जैसे तमाम प्रमुख हथियार और डिफेंस सिस्टम ने अहम भूमिका निभाई है। भारत रूस के सहयोग से मेड इन इंडिया हथियार भी बना रहा है।
भारत और रूस ने हाल ही में अपनी दोस्ती की प्रतिबद्धता स्पष्ट की, जब अमेरिका ने दोनों देशों के बीच तेल व्यापार खत्म करने के लिए मनमाना टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की। हालांकि, भारी दबाव के बावजूद भी भारत ने अमेरिका के सामने घुटने नहीं टेके और साफ शब्दों में कहा कि वह किससे तेल खरीदेगा और किससे नहीं, यह कोई अन्य देश तय नहीं करेगा।
ग्लोबल साउथ में भारत और रूस की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है। दोनों देश इस समूह में अपने हितों को बढ़ावा दे रहे हैं। एक तरफ रूस ग्लोबल साउथ में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। दूसरी ओर भारत इस समूह के वैश्विक हितों के बारे में विश्व पटल पर आवाज उठा रहा है।
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Created On :   10 Nov 2025 11:35 PM IST












