समाज: बिगड़े हालात के चलते पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी यात्री फंसे

बिगड़े हालात के चलते पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी यात्री फंसे
बांग्लादेश में जारी हिंसा की वजह से पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के चंगराबांधा सीमा पर स्थिति मंगलवार को शांत रही, लेकिन इमीग्रेशन चेकपोस्ट बंद होने के चलते बांग्लादेशी यात्री फंस गए।

कूचबिहार (पश्चिम बंगाल), 6 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में जारी हिंसा की वजह से पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के चंगराबांधा सीमा पर स्थिति मंगलवार को शांत रही, लेकिन इमीग्रेशन चेकपोस्ट बंद होने के चलते बांग्लादेशी यात्री फंस गए।

मंगलवार सुबह भरे ट्रकों को खाली करने के बाद वापस सीमा पार बांग्लादेश भेज दिया गया। इसके अलावा बुरीमारी के इमीग्रेशन चेक पोस्ट बंद होने के कारण भारत आए यात्री अभी भी बांग्लादेश नहीं लौट पा रहे हैं। इस वजह से चंगराबांधा इमीग्रेशन चेक पोस्ट पर दो बांग्लादेशी नागरिक फंसे हुए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मेखलीगंज पुलिस के सीआई अभिजीत सरकार और ओसी मणिभूषण सरकार मौके पर पहुंचे।

उधर, बांग्लादेश के बुरीमारी लैंड पोर्ट पर भी 207 भारतीय ट्रक के साथ फंसे हुए हैं। बांग्लादेश में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से दोनों देशों के बीच व्यापार और आवागमन प्रभावित हो रहा है।

बता दें, बांग्लादेश में हजारों लोगों की हिंसक भीड़ को राजधानी ढाका की तरफ कूच करता देख पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। इसके बाद वह भारत आ गईं। भारत में उनके विमान को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतारा गया। जहां वह कड़ी सुरक्षा में हिंडन एयरबेस में वायुसेना के एक सेफ हाउस में रुकी हैं।

बताया जा रहा है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंग्लैंड से शरण मांगी है। जैसे ही इंग्लैंड की सरकार उनकी शरण को मंजूर कर देगी, वह भारत से इंग्लैंड चली जाएंगी।

बांग्लादेश में इससे पहले भी कई बार हिंसक भीड़ ने आरक्षण के मुद्दे पर राजधानी ढाका के अलावा आसपास के इलाकों में आगजनी व तोड़फोड़ की थी। तब बांग्लादेश की आर्मी ने भीड़ पर नियंत्रण पा लिया था। लेकिन इस बार लोगों की भीड़ के हिंसक होते ही प्रधानमंत्री ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया।

बता दें, बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए देश की तमाम सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण के विरोध में एक जुलाई से प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों ने की थी। पांच जून को ढाका हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को आरक्षण को फिर से लागू करने का आदेश दिया था।

बांग्लादेश में 30 फीसदी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों के अलावा पौत्र-पौत्रियों के लिए, प्रशासनिक जिलों के लोगों के लिए 10 फीसदी, महिलाओं के लिए 10 फीसदी, जातीय अल्पसंख्यक समूहों को 5 फीसदी और विकलांगों को 1 फीसदी आरक्षण नौकरियों में दिया जा रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं, विकलांगों और जातीय अल्पसंख्यक लोगों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है। इस रिजर्वेशन सिस्टम को 2018 सुप्रीम कोर्ट द्वारा निलंबित कर दिया गया था। इस निलंबन के बाद इस तरह के विरोध प्रदर्शन पूरे देश में रुक गए थे।

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Created On :   6 Aug 2024 7:06 PM IST

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