राजनीति: उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र विधेयक, नजूल संपति विधेयक विधानसभा में पारित

उत्तर प्रदेश  राज्य राजधानी क्षेत्र विधेयक, नजूल संपति विधेयक विधानसभा में पारित
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) विधेयक और नजूल सम्पत्ति विधेयक पारित हो गये। दोनों विधेयकों पर पहले योगी सरकार अध्यादेश लाई थी।

लखनऊ, 31 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) विधेयक और नजूल सम्पत्ति विधेयक पारित हो गये। दोनों विधेयकों पर पहले योगी सरकार अध्यादेश लाई थी।

उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) विधेयक के तहत एनसीआर की तर्ज पर स्टेट कैपिटल रीजन का गठन किया जाएगा। लखनऊ और उसके पड़ोसी जिलों उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, रायबरेली, और बाराबंकी को मिलकर एससीआर का गठन किया जाएगा, जिससे इन जिलों का उचित, व्यवस्थित और त्वरित विकास हो सकेगा।

नजूल संपत्ति विधेयक, 2024 के तहत सरकार ने नजूल भूमि को संरक्षित करते हुए इन भूमियों को निजी व्यक्तियों/संस्थाओं के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में घोषित करने की बजाय इसका उपयोग केवल सार्वजनिक काम के लिए करने का निश्चय किया है।

दोनों विधेयकों को विधानसभा में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रस्तुत किया। विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का गठन विधेयक-2024 के तहत सभी छह जिलों के 27 हजार 860 वर्ग मीटर क्षेत्रफल को मिलाकर राज्य राजधानी क्षेत्र बनाया गया है।

नजूल संपत्ति विधेयक के लागू होने के बाद राज्य में स्थित नजूल भूमियों का निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में प्रतिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन संबंधी किसी भी न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन, निरस्त हो जाएंगे और अस्वीकृत समझे जाएंगे। यदि इस संबंध में कोई धनराशि जमा की गई है, तो निश्चित ब्याज समेत धनराशि वापस कर दी जाएगी। हालांकि नजूल भूमि के ऐसे पट्टाधारक जिनका पट्टा अब भी चालू है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा कर रहे हैं और पट्टे की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है, के पट्टों को सरकार या तो ऐसी शर्तों पर जैसा सरकार समय-समय पर निर्धारित करती है जारी रख सकती है या ऐसे पट्टों का निर्धारण कर सकती है। पट्टा अवधि की समाप्ति के बाद ऐसी भूमि समस्त विलंगमों से मुक्त होकर स्वतः राज्य सरकार में निहित हो जाएगी। इस अधिनियम के अंतर्गत नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाइयों के लिए ही किया जाएगा।

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Created On :   1 Aug 2024 12:13 AM IST

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