डीआरडीओ द्वारा विकसित 1.42 लाख करोड़ रुपए की प्रणालियों को स्वीकृति

डीआरडीओ द्वारा विकसित 1.42 लाख करोड़ रुपए की प्रणालियों को स्वीकृति
नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत के मुताबिक इस वर्ष 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपए से अधिक की डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों को स्वीकृति (एओएन) प्रदान की गई है। यह बीते किसी भी वर्ष में डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों के लिए दी गई अब तक की सबसे अधिक राशि है।

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत के मुताबिक इस वर्ष 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपए से अधिक की डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों को स्वीकृति (एओएन) प्रदान की गई है। यह बीते किसी भी वर्ष में डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों के लिए दी गई अब तक की सबसे अधिक राशि है।

कामत ने बताया कि कई प्रणालियां या तो पूरी हो चुकी हैं या फिर उपयोगकर्ता मूल्यांकन के अंतिम चरण में हैं। कई अन्य प्रणालियां विकासात्मक परीक्षणों से गुजर रही हैं।

डीआरडीओ के अध्यक्ष ने कहा कि यह हम सभी के लिए बेहद गर्व की बात थी जब प्रधानमंत्री ने 25 नवंबर, 2023 को एलसीए ट्रेनर में उड़ान भरी। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 11 मई 2023 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री ने आईआरईएल विजाग में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। यह संयंत्र डीआरडीओ की तकनीक का उपयोग करके स्थापित किया गया था। स्वदेशी रूप से डिजाइन, हेवी वेट टॉरपीडो का समुद्र के नीचे एक लक्ष्य के खिलाफ लाइव वॉरहेड के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। यह देश या शायद दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रदर्शन था।

उन्होंने पहली बार तेजस से हवा से हवा में मार करने वाली एस्ट्रा एमके1 मिसाइल दागने, स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत 2 पर एलसीए नेवी की लैंडिंग, राष्ट्रपति भवन, जी-20 शिखर सम्मेलन, गणतंत्र दिवस परेड और बीटिंग रिट्रीट समारोह में डीआरडीओ के डी4 सिस्टम की तैनाती का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ का समुद्र विज्ञान अनुसंधान पोत ‘आईएनएस सागरध्वनि’ ‘महासागर अनुसंधान एवं विकास’ में हिंद महासागर क्षेत्र के रिम देशों के साथ दीर्घकालिक वैज्ञानिक साझेदारी स्थापित करने के लिए ओमान के लिए सागर मैत्री मिशन -4 पर रवाना हुआ।

उन्होंने गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) के बारे में भी प्रकाश डाला, जिसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पिछले सप्ताह संसद में सौंपी अपनी रिपोर्ट में डीआरडीओ की सराहना की है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास का बजट बढ़ाने की सिफारिश की है।

उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ ने इस साल 141 से अधिक पेटेंट दाखिल किए और 212 पेटेंट दिए गए। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी। डीआरडीओ द्वारा 2019 में शुरू की गई पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं ने अब प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। ये उभरती विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में हमारे पथप्रदर्शक बनने जा रहे हैं।

डीआरडीओ के अध्यक्ष ने बताया कि अब तक डीआरडीओ द्वारा विकसित 1650 टीओटी भारतीय उद्योगों को सौंपे जा चुके हैं। वर्ष 2023 के दौरान, डीआरडीओ उत्पादों के लिए भारतीय उद्योगों के साथ 109 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए लाइसेंसिंग समझौतों (एलएटीओटी) पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने विस्फोटकों और संबंधित प्रक्रियाओं की स्थिति को स्वचालित करने हेतु एचईएमआरएल पुणे द्वारा विकसित क्वांटिटी-डिस्टेंस सॉफ्टवेयर का शुभारंभ भी किया। यह सॉफ्टवेयर सभी रक्षा मंत्रालय प्रतिष्ठानों के लिए एक आवश्यक उपकरण है जो अधिकतम समय में और अधिक सटीकता के साथ विस्फोटक संबंधी बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में संलग्न हैं।

--आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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Created On :   2 Jan 2024 5:36 PM IST

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