अजित पवार के आने से बीजेपी को कितना फायदा कितना नुकसान? 5-5 प्वाइंट्स में समझिए नफा-नुकसान का खेल!

अजित पवार के आने से बीजेपी को कितना फायदा कितना नुकसान? 5-5 प्वाइंट्स में समझिए नफा-नुकसान का खेल!
  • जूनियर पवार से 'पावर' में आने की कवायद
  • एनडीए से अजित पवार को जोड़ने के पीछे बीजेपी की खास 'रणनीति'

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में 2 जून की तारीख बेहद ही अहम रही। एनसीपी के नेता अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हो गए। सरकार में शामिल होने के लिए अजित पवार को इनाम में डिप्टी सीएम की कुर्सी और उनके आठ सहयोगियों को मंत्री पद मिला। जानकारी के मुताबिक, अजित पवार की महाराष्ट्र सरकार में एंट्री कराने का पूरा खाका दिल्ली में तैयार हुआ था। जिसमें बीजेपी के कद्दावर नेता अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा तक शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, इस पूरे प्लान की जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी को भी थी। लेकिन अब जूनियर पवार के बीजेपी के साथ आ जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि भगवा पार्टी की आगे की रणनीति क्या होगी। बीजेपी को इससे क्या फायदा मिलने वाला है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, बीजेपी को अजित पवार से फायदे के साथ नुकसान भी होने वाले हैं। तो आइए जानते हैं कि अजित पवार के आने से क्या फायदे क्या नुकसान हो सकते हैं।

सियासत के जानकारों का मानना है कि, बीजेपी ने बड़ी चालकी से एनीसीपी में फूट डाली है ताकि इसका फायदा सीधे तौर पर आने वाले चुनावों में बीजेपी को मिले। सूत्रों की मानें तो, हाल के दिनों में विपक्ष की एकजुटता से बीजेपी परेशान थी। साथ ही पिछले दो राज्यों के चुनावों में उसे कांग्रेस से करारी हार झेलनी पड़ी। इसको देखते हुए बीजेपी ने अजित पवार को अपने पाले में लाने की कवायद की है।

अजित पवार के आने से बीजेपी को फायदा?

  • अजित पवार को अपने खेमे में लाकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन में फूट डालना।
  • शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस को कमजोर करने के लिए क्योंकि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की थी। जिसको देख बीजेपी सकते में है। भगवा पार्टी को लगता है कि कहीं आगामी चुनाव में ऐसी कोई परिस्थिति महाराष्ट्र में न बने।
  • अजित पवार के साथ लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ना, ताकि शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस को कमजोर किया जा सके। साथ ही इन दलों के कोर वोट बैंक में सेंध मारी कर अपने पक्ष में माहौल बनाना।
  • अजित पवार को पाले में लाकर एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस को अलग-थलग करना, ताकि बीजेपी के खिलाफ कोई राजनीतिक घेराव न कर सके। न सिर्फ अघाड़ी के स्तर पर बल्कि विपक्षी एकता के स्तर पर भी।
  • अजित पवार के साथ मिलकर बीजेपी की रणनीति है कि, मुंबई महानगरपालिका सहित परिषदों के चुनाव में जीत हासिल करना।

अजित पवार के आने से बीजेपी को नुकसान

  • अजित पवार के आने से बीजेपी को नुकसान उठना पड़ सकता है। विश्लेषकों के मुताबिक, हाल के दिनों में जिन नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियां जांच कर रही थी। वो सभी नेता सरकार में शामिल हो गए हैं। जिस पर कांग्रेस और शिवसेना बीजेपी की सरकार को घेरने का काम करेंगी।
  • आगामी चुनाव में सीटों के बंटवारों पर माथापच्ची करनी पड़ेगी, बीजेपी और शिंदे गुट के नेताओं में टिकट को लेकर घमासान मच सकता है।
  • बीजेपी को अपने कोटे से एनसीपी को चुनाव लड़ने के लिए सीट देना पड़ सकता है। क्योंकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ये कभी नहीं चाहेगी कि तीनों पार्टियों के बीच बराबरी से सीटों का बंटवारा हो सके। जिसका मुख्य कारण अजित पवार का एनडीए से जुड़ना होगा।
  • पीएम मोदी खुद एनसीपी को नेशनल करप्ट पार्टी का खिताब दे चुके हैं जिसकी वजह से बीजेपी पर विपक्ष हमला करेगा और यह मुद्दा जनता के समझ रख सकता है जिसकी वजह से बीजेपी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • अगर शरद पवार के साथ शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस अभी भी साथ रहती हैं तो बीजेपी को तगड़ा झटका लग सकता है क्योंकि उद्धव ठाकरे और सीनियर पवार के साथ करीब एक जैसे ही हालात बने हैं। दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने बगावत कर एक पार्टी को दो फाड़ कर दिया। इस मामले को पवार और ठाकरे जनता में ले जाते हैं तो जनता से उन्हें सहानुभूति जरूर मिलेगी। जिसका सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा।

पीएम मोदी का घेराव

अजित पवार के आने से बीजेपी को फायदा तो है लेकिन नुकसान भी हो सकता है क्योंकि विपक्ष की सभी पार्टियां एक सुर में हमला बोल रही हैं। गैर एनडीए दल के नेता बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि जिस पार्टी को पीएम मोदी ने नेशनल करप्ट पार्टी का तमगा दिया था उसी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

Created On :   3 July 2023 3:08 PM IST

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