बिमान गुरुंग ने जीटीए चुनाव के खिलाफ अनशन शुरू किया
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) चुनाव की तारीख की घोषणा के एक दिन बाद सुप्रीम गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के प्रमुख बिमल गुरुंग ने चुनाव कराने के फैसले के खिलाफ बुधवार को दार्जिलिंग में अनशन शुरू किया।
मंगलवार को की गई घोषणा के अनुसार जीटीए के लिए मतदान 26 जून को होगा और मतगणना 29 जून को होगी।
दार्जिलिंग क्रॉसिंग पर अपना आंदोलन शुरू करने वाले गुरुं ग ने कहा कि उन्होंने पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पहाड़ियों में स्थायी राजनीतिक समाधान तक जीटीए चुनावों से परहेज करने के लिए कहा था। उन्होंने यह भी धमकी दी कि अगर राज्य सरकार स्थायी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने से पहले चुनाव कराती है तो आमरण अनशन करेंगे।
14 मई को ममता को लिखे अपने पत्र में गुरुं ग ने जोर देकर कहा कि स्थायी राजनीतिक समाधान के तरीके खोजने के लिए इस मुद्दे पर एक द्विदलीय चर्चा बहुत जरूरी है। उन्होंने 11 गोरखा संप्रदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने में तत्काल प्रगति लाने पर भी जोर दिया।
गुरुं ग ने बुधवार को कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि स्थायी राजनीतिक समाधान निकाला जाएगा, लेकिन राज्य सरकार ने उस प्रतिबद्धता को पूरा किए बिना मतदान की तारीखों की घोषणा कर दी।
उन्होंने कहा, हमें न तो केंद्र सरकार में और न ही राज्य सरकार में कोई विश्वास है, क्योंकि उनमें से किसी ने भी गोरखा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है। इसलिए मैंने उपवास आंदोलन करने का फैसला किया है और अगर जरूरी हुआ तो इसे आमरण अनशन तक बढ़ाया जाएगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार ने गुरुं ग को अपना समर्थन देते हुए कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही कह रही है कि जीटीए चुनाव कभी भी पहाड़ियों में स्थायी राजनीतिक समाधान नहीं ला सकते। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर कानूनी सहारा लेने के तरीकों पर विचार कर रही है।
भाजपा, जीजेएम और गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) जीटीए चुनाव का विरोध कर रहे हैं। उनके अनुसार, स्थायी राजनीतिक समाधान के बिना जीटीए के चुनाव अप्रासंगिक होंगे। हालांकि, राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और हाम्रो पार्टी, भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा, जन आंदोलन पार्टी और भारतीय गोरखा सुरक्षा परिषद जैसी अन्य पहाड़ी-आधारित राजनीतिक ताकतों के अलावा तत्काल जीटीए चुनावों के पक्ष में हैं।
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Created On :   25 May 2022 6:01 PM IST