भाजपा और कांग्रेस चुनावी मोड में
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भले ही एक साल से ज्यादा का वक्त हो, मगर दोनों प्रमुख राजनीतिक दल -- सत्ताधारी भाजपा व विपक्षी कांग्रेस की चुनाव को लेकर कदमताल तेज होती जा रही है और अब वे पूरी तरह चुनावी मोड में भी आ गए हैं। कांग्रेस जहां उम्मीदवारी के लिए जमीनी सर्वे करा रही है तो वहीं भाजपा नेताओं का फीडबैक जुटाने में लगी है।
राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनावों से दोनों ही राजनीतिक दल सीख लेते नजर आ रहे हैं और किसी भी तरह की चूक के लिए तैयार नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस चुनाव में कांग्रेस भले कुछ बढ़त हासिल कर सत्ता में आ गई थी, मगर दोनों ही राजनीतिक दलों को बहुमत नहीं मिला था।
पिछले चुनाव में 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस 114 और भाजपा 109 स्थानों पर जीत हासिल कर पाई थी, मगर निर्दलीय और सपा-बसपा के समर्थन के चलते कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। आगे चलकर कांग्रेस के भीतर बगावत हुई और वर्ष 2020 में सरकार गिर गई। परिणामस्वरुप भाजपा को डेढ़ साल बाद फिर सत्ता संभालने का मौका मिला।
राज्य में सत्ता की कमान भाजपा के हाथ में जरूर है मगर वर्ष 2023 के चुनाव को लेकर पार्टी पूरी तरह सतर्क है क्योंकि उसे वर्ष 2018 के नतीजे अब भी याद हैं। भाजपा की वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद ताकत बढ़ी है क्योंकि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा में हैं। इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा तत्कालीन विधायक भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं।
उपचुनावों में भी भाजपा को बड़ी सफलता मिली है तो वहीं राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान कांग्रेस के 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। कुल मिलाकर भाजपा की स्थिति मजबूत है मगर उसे इस बात की चिंता सताए जा रही है कहीं विधानसभा चुनाव में वर्ष 2018 जैसी स्थिति न बन जाए।
भाजपा के संगठन के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा जहां पूरे प्रदेश मैं दौरे कर रहे हैं और संगठन की मजबूती के अभियान में लगे हुए हैं।उनका सबसे ज्यादा जोर बूथ की मजबूती पर है। पार्टी ने अभी हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों को भी गंभीरता से लिया है क्योंकि 16 नगर निगमों में से कांग्रेस के महापौर पद के उम्मीदवार पांच स्थानों पर जीते हैं तो दो स्थान अन्य को गए हैं।
भाजपा की खास नजर उन लोगों पर है जो बगावत कर सकते हैं या जो पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हैं। यही कारण है कि लगातार ऐसे लोगों पर पार्टी कार्रवाई कर रही है। तो दूसरी ओर जमीनी फीडबैक भी जुटाया जा रहा है। इसी के आधार पर आगामी विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार भी तय होंगे।
एक तरफ जहां भाजपा अपनी जमावट को पुख्ता करने में लगी है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी जमीनी तैयारियां तेज कर दी हैं। कमलनाथ ने जिले स्तर पर प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति की है साथ ही सर्वे का कार्य भी तेज कर दिया है और उन्होंने पिछले दिनों हुई बैठक में भी साफ कर दिया है कि जो सर्वे में नाम आएंगे उन्हें ही चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
कमलनाथ के तेवर भी इन दिनों तल्ख हैं और वे पार्टी के नेताओं को भी हिदायतें भी दे रहे हैं, साथ ही उन्होंने उन लोगों पर नजर पैनी कर दी है जो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इतना ही नहीं उन्हें अब भी इस बात का डर है कि कहीं पार्टी में फिर बगावत न हो जाए।
राजनीतिक विष्लेषकों का मानना है कि राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होगा आने वाले विधानसभा चुनाव में, यही कारण है कि दोनों दल अभी से फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाने में लगे है।
लिहाजा दोनों दल अपने-अपने तरह से चुनावों की तैयारी कर रहे है, जो दल चुनाव जितनी एक जुटता से लड़ेगा, सफलता भी उसी के खाते में आएगी। जहां बगावत होगी, नुकसान भी उसे ही होगा।
(आईएएनएस)
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Created On :   28 Aug 2022 11:30 AM IST