समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में बढ़ रही है भाजपा
- संसद का आगामी मानसून सत्र काफी अहम हो सकता है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा और उसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान मुख्य तौर पर उसके तीन कोर एजेंडे को लेकर ज्यादा रही है - अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना और देश में समान नागरिक संहिता लागू करना। इनमें से दो कोर एजेंडे को नरेंद्र मोदी सरकार हासिल कर चुकी है।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य जोर-शोर से जारी है और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जा चुका है। अब धीरे-धीरे ही सही भाजपा ने अपने तीसरे कोर एजेंडे - देश भर में समान नागरिक संहिता लागू करने की तरफ कदम बढ़ा दिया है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे को निभाते हुए उत्तराखंड सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने जा रही है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी राज्य के साथ ही पूरे देश में तेजी से इस कानून को लागू करने की वकालत करते हुए यह दावा कर चुके हैं कि उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है।
आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी सोमवार को भाजपा की राज्य सरकारों द्वारा इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाने को अच्छा और सही निर्णय बताते हुए यह कह चुके हैं कि हिमाचल प्रदेश सरकार भी राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार कर रही है और उन्होंने अधिकारियों को इसे एक्जामिन करने का निर्देश दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि गृह मंत्री अमित शाह स्वयं भोपाल में पार्टी नेताओं के साथ बैठक के दौरान यह कह चुके हैं कि भाजपा की केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370, राम जन्मभूमि, नागरिकता संशोधन कानून और तीन तलाक जैसे ज्यादातर मुद्दों को हल कर दिया है और अब समान नागरिक संहिता जैसे जो कुछ मुद्दें बचे हैं, आने वाले वर्षों में उन्हें भी हल कर दिया जाएगा।
आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा अब अपने तीसरे और बचे हुए एकमात्र कोर एजेंडे को लेकर भी कदम उठाने का फैसला कर चुकी है। फिलहाल भाजपा की राज्य सरकारों ने इसकी शुरूआत कर दी है, जिससे भाजपा को देश भर के माहौल का अंदाजा लगाने में मदद मिलेगी और फिर इस मुद्दे पर भी केंद्र सरकार आगे कदम बढ़ा सकती है क्योंकि पूरे देश में इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर ही संसद से इस कानून को पारित करवाना पड़ेगा। इस लिहाज से संसद का आगामी मानसून सत्र काफी अहम हो सकता है।
दरअसल, भारतीय राजनीति में एक दौर ऐसा भी था जब केवल तीन मुद्दों को लेकर देश के अधिकांश राजनीतिक दलों ने भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी करार देते हुए देश की मुख्यधारा वाले राजनीतिक दलों की लिस्ट से पूरी तरह बाहर कर दिया था। इन्ही तीन मुद्दों के कारण 1996 में लोक सभा में संख्या बल के मामले में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे उदारवादी छवि के नेता को प्रधानमंत्री बंनाने के बावजूद भाजपा को सांप्रदायिक दल का खिताब देते हुए अन्य राजनीतिक दलों ने समर्थन देने से इनकार कर दिया था। इस वजह से 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी को 13 दिनों में ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
देश के अधिकांश राजनीतिक दलों को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के भाजपा के इन तीन मुद्दों पर सबसे ज्यादा ऐतराज था। भारत की राजनीति में भाजपा के इन तीनों कोर एजेंडे को लेकर विरोध इतना ज्यादा था कि 1998 में एनडीए गठबंधन के बैनर तले सरकार बनाने के लिए भाजपा को इन तीनों मुद्दों को भूलना पड़ा और 6 वर्षों तक सरकार चलाने के बावजूद भाजपा ने इन तीनों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया।
लेकिन , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब भाजपा ने देश के राजनीतिक माहौल को पूरी तरह से बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अयोध्या विवाद का समाधान हो चुका है और वहां राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। विरोधी दलों के भारी विरोध के बावजूद लोक सभा और राज्य सभा के समर्थन से सरकार जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा चुकी है और अब तीसरे कोर एजेंडे - समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है।
(आईएएनएस)
Created On :   27 April 2022 12:30 PM IST