राम मंदिर को लेकर तुष्टीकरण का आरोप लगा कर विरोधियों को घेरेगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का मुद्दा लगभग चार दशकों तक इस देश की राजनीति में छाया रहा। वैसे तो यह पूरा मामला काफी पुराना है लेकिन राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में यह मुददा देश की राजनीति के केंद्र में आ गया और उसके बाद के लगभग चार दशकों तक यह मुद्दा देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बना रहा। 2020 में जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य भूमिपूजन के साथ शुरू हुआ तो यह माना गया कि अब इसके साथ ही इसे लेकर बयानबाजी का दौर खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।
भाजपा और संघ परिवार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी राजनीतिक लड़ाई लड़ी, अदालती लड़ाई में भी संतों का साथ दिया। भाजपा ने इसके लिए कई बार अयोध्या कूच का नारा दिया, कार सेवा की। लालकृष्ण आडवाणी ने बिहार में अपनी गिरफ्तारी भी दी और इसके कई नेताओं पर अभी तक मुकदमा चल रहा है। हालांकि भाजपा ने हमेशा ही यह दावा किया कि उसके लिए अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का मसला राजनीतिक नहीं भावनात्मक मुद्दा है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि इसका सबसे अधिक राजनीतिक लाभ भाजपा को ही हुआ है।
भाजपा के लिए राम मंदिर का मुद्दा आज भी कितना अहम बना हुआ है इसका अंदाजा कुछ दिनों पहले, 5 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान से लगाया जा सकता है। 5 अगस्त को कांग्रेस नेताओं ने महंगाई और ईडी के खिलाफ काले कपड़े पहनकर देशभर में प्रदर्शन किया था।
काले कपड़े पहन कर संसद से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करना और इसके लिए 5 अगस्त की तारीख चुनने पर करारा हमला करते हुए अमित शाह ने उस दिन कहा था कि, ईडी और महंगाई ये तो सिर्फ बहाने हैं..कांग्रेस का असली दर्द भव्य राम मंदिर का बनना है इसलिए, वह हर साल 5 अगस्त के दिन विरोध प्रदर्शन करती है। कांग्रेस ने आज काले कपड़े पहन कर विरोध प्रदर्शन किया क्योंकि आज ही के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर का शिलान्यास किया था और लगभग 550 वर्ष पुरानी समस्या का बहुत शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकाला था। इस पर कहीं भी न तो दंगा हुआ था, न हिंसा हुई थी और पूर्ण सामाजिक सद्भाव के साथ प्रधानमंत्री जी ने देश के करोड़ों लोगों की श्रद्धा को परवान चढ़ाने का कार्य किया था। कांग्रेस ने आज ही के दिन विशेषकर काले कपड़े पहन कर प्रदर्शन कर ये संदेश दिया है कि कांग्रेस पार्टी श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे रामलला के भव्य मंदिर का विरोध करती है।
शाह के इस बयान से यह साफ हो गया कि अयोध्या अब सिर्फ मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि मॉडल बन गया है। एक ऐसा मॉडल, जिसके जरिए भाजपा यह बार-बार बताएगी कि 550 वर्ष पुरानी समस्या का समाधान भी किस तरह से शांति के साथ हो सकता था लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से कांग्रेस ने ऐसा होने नहीं दिया। ऐसे वक्त में जब देश की राजनीति की दशा-दिशा बदल रही हो, कई दशकों बाद बहुसंख्यकवाद राजनीति के केंद्र में आ गया हो और हर राजनीतिक दल अपने आपको हिंदू विरोधी होने के टैग से बचाने की कोशिश करता नजर आ रहा हो, वैसे वक्त में विरोधी दलों को घेरने के लिए तुष्टिकरण का यह मुद्दा भाजपा के लिए किसी बड़े हथियार से कम नहीं है।
2024 का लोक सभा चुनाव, भाजपा के लिए हैट्रिक बनाने का चुनाव है। 2024 में भाजपा लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। 2014 और 2019 लोक सभा चुनाव की तरह 2024 में भी भाजपा की सरकार बनाने में उत्तर प्रदेश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इसमें अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही है। वास्तव में सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि हिंदी पट्टी के ज्यादातर राज्यों के साथ-साथ दक्षिण भारत के राज्यों में भी 2024 के लोक सभा चुनाव में राम मंदिर एक प्रभावी मुद्दा बनने जा रहा है।
ऐसा इसलिए होगा क्योंकि 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले ही देश-विदेश के राम भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए राम मंदिर खुल जाएगा। आपको बता दें कि, 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भूमिपूजन कर राम मंदिर निर्माण के कार्य का शिलान्यास किया था। मंदिर निर्माण को शुरू हुए दो वर्ष पूरे हो चुके हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक राम मंदिर निर्माण का 40 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक दिसंबर 2023 से आम लोग श्रीरामलला के भव्य मंदिर का दर्शन कर सकेंगे। बताया जा रहा है कि जनवरी 2024 तक मंदिर की पहली मंजिल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा यानी 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही मंदिर का गर्भगृह भक्तों के लिए खुल जाएगा। हालांकि मंदिर निर्माण का संपूर्ण कार्य 2025 तक ही पूरा होने की संभावना है।
भाजपा इसे भावनात्मक मुद्दा कह रही है, मंदिर निर्माण को भारत, भारतीय और भारतीय संस्कृति की विजय बता रही है और ऐसे में यह माना जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में यह मुद्दा भी जोर-शोर से छाया रहेगा। भाजपा भले ही अपनी तरफ से इस पर चर्चा की शुरूआत न करे लेकिन विपक्षी नेताओं की तरफ से उस समय आने वाले बयान जाने-अनजाने राम मंदिर को एक बड़ा मुद्दा बना ही देंगे।
(आईएएनएस)
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   15 Aug 2022 4:00 PM IST