ऑटो परमिट की कालाबाजारी थमेगी, ऑटो पंजीकरण व ट्रासंफर प्रक्रिया में सरकार ने किए बदलाव

Black marketing of auto permits will stop, government made changes in auto registration and transfer process
ऑटो परमिट की कालाबाजारी थमेगी, ऑटो पंजीकरण व ट्रासंफर प्रक्रिया में सरकार ने किए बदलाव
नई दिल्ली ऑटो परमिट की कालाबाजारी थमेगी, ऑटो पंजीकरण व ट्रासंफर प्रक्रिया में सरकार ने किए बदलाव
हाईलाइट
  • भ्रष्टाचारों के खिलाफ

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। इसके साथ ही, लोन डिफॉल्टर होने पर फाइनेंसरों द्वारा कब्जा किए गए ऑटो को बिना परमिट के पहले वित्तीय सस्थांनों के नाम पर रजिस्ट्रेशन या ट्रांसफर करना होगा। इसके बाद ही वो किसी अन्य थर्ड पार्टी के नाम पर रजिस्ट्रेशन या ट्रांसफर किया जा सकेगा।

इस संबंध में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, नियम होने के बावजूद बहुत से वास्तविक लोन डिफ्टरों को फाइनेंसरों की तरफ से परेशान किया जा रहा है, सरकार ऐसे सभी भ्रष्टाचारों के खिलाफ लड़ने और परेशानी को समाप्त करने में विश्वास करती।

यह कोविड से पहले के परि²श्य में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां ऑटो चालक भारी ऋण को चुकाने में असमर्थता का खामियाजा भुगत रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि विभाग द्वारा सख्त प्रवर्तन के साथ यह उपाय इस तरह के परेशानी को कम करेगा और बहुत सारे ऑटो चालकों को राहत देगा।

जानकारी के अनुसार, ऑटो पंजीकरण और ट्रासंफर की प्रक्रिया में नए बदलाव के अनुसार, मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहन फाइनेंसरों को भुगतान करने में असफल होने के कारण पंजीकृत मालिक से ऑटो कब्जा करने की स्थित में फाइनेंसरों (एनबीसी / बैंकों) के नाम पर पहले ऑटो को ट्रांसफर किया जाएगा।

इसके साथ ही ऑटो मालिक को इस पंजीकरण की एक कापी उनके पते पर भेजकर सूचना दी जाएगी। ऐसे सभी मामलों में किसी अन्य खरीदार को वाहन को सीधा ट्रांसफर करने और परमिट की अनुमति नहीं होगी। इस तरह के कब्जा किए गए वाहन को कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार फाइनेंसर द्वारा नीलामी में बेचा जा सकता है।

जो व्यक्ति नीलामी के माध्यम से ऐसा वाहन खरीदता है, वह परिवहन विभाग से संपर्क कर एमवी अधिनियम, 1988 के प्रावधान के तहत अपने नाम पर पंजीकरण करा सकता है। नीलामी के माध्यम से खरीदने वाला दिल्ली का निवासी होना चाहिए, जिसके पास दिल्ली के पते का आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस हो।

इसके अलावा, खरीदार के पास परिवहन विभाग से ऑटो-रिक्शा (टीएसआर) के लिए जारी वैध एलओआई और वैध परमिट होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में उसके नाम पर कोई ऑटो-रिक्शा (टीएसआर) नहीं होना चाहिए। जबकि फाइनेंसर वाहन को अपने पास रख सकता है। सरेंडर करने वाले परमिट के मूल आवंटित को सरेंडर करने की तारीख के छह महीने के भीतर उस परमिट के खिलाफ एक और टीएसआर पंजीकृत कर सकता है, जिसके बाद विभाग एक नया एलओआई जारी कर देगा।

विभाग अन्य परिवहन/गैर-परिवहन वाहनों को भी इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है। विभाग ऐसे सरेंडर किए गए परमिटों की सूची और फाइनेंसरों के नाम पर वाहनों के पंजीकरण को प्रवर्तन शाखा के साथ साझा करेगा, ताकि किसी भी अनाधिकृत संचालन की जांच की जा सके।

 

सोर्स- आईएएनएस

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Created On :   21 Jun 2022 3:30 PM GMT

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