कोर्ट के बहिष्कार से संवैधानिक ढांचा चरमरा जाएगा: जस्टिस मंथा
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। लोक अभियोजकों और सरकारी वकीलों के एक बड़े वर्ग द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की अदालत का बहिष्कार जारी रहने के बीच उन्होंने शुक्रवार को कहा कि इस तरह के बहिष्कार से संवैधानिक ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा।
न्यायमूर्ति मंथा ने शुक्रवार को कहा- यह जारी नहीं रह सकता है। सरकारी वकीलों का एक तबका अहम मामलों की सुनवाई से दूर रहा है। अक्सर संबंधित मामलों में पुलिस अधिकारियों को अपनी बात रखनी होती है। आखिरकार, इससे राज्य सरकार को नुकसान होता है।अगर ऐसा ही चलता रहा तो संवैधानिक ढांचा चरमरा जाएगा।
जस्टिस मंथा की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने 9 जनवरी और 10 जनवरी को लगातार दो दिनों तक अपने साथी वकीलों को अदालत में प्रवेश करने से रोककर उनके कोर्ट के सामने हंगामा करने के लिए जिम्मेदार नौ वकीलों को निलंबित करने का सुझाव दिया।
परिषद के तीन सदस्यीय निरीक्षण दल की रिपोर्ट के बाद बीसीआई ने निलंबन का सुझाव दिया, निरीक्षण दल ने हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय का दौरा किया था। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह नौ अधिवक्ता कौन हैं जिनके खिलाफ बीसीआई ने कार्रवाई का सुझाव दिया है।
बीसीआई के सुझाव का स्वागत करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा के राज्यसभा सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह देश की न्याय व्यवस्था का अपमान है। कांग्रेस नेता और अधिवक्ता कौस्तव बागची ने कहा कि हालांकि वह खुद वकील होने के नाते किसी भी वकील के निलंबन के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन न्यायमूर्ति मंथा की अदालत के सामने हंगामा अक्षम्य था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कसुहिक गुप्ता ने कहा कि बीसीआई द्वारा सुझाई गई सजा वकीलों द्वारा किए गए अपराध के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने कहा, व्यक्तिगत रूप से, एक कानूनी पेशेवर के रूप में, मुझे बुरा लगता है अगर मेरे किसी साथी पेशेवर को निलंबन का सामना करना पड़ता है। लेकिन देश की कानूनी व्यवस्था में, कोई हमेशा मदद नहीं कर सकता है।
(आईएएनएस)
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Created On :   20 Jan 2023 6:30 PM IST