ईडी की नजर अब एनजीओ संचालित शिक्षण संस्थानों पर
- बंगाल भर्ती घोटाला : ईडी की नजर अब एनजीओ संचालित शिक्षण संस्थानों पर
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। इस समय गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा संचालित कुछ शैक्षणिक संस्थान करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं।
हाल ही में ईडी ने तृणमूल कांग्रेस विधायक के बेटे और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के एक बैंक खाते का पता लगाया था, जिसमें 2.64 करोड़ रुपये थे। भट्टाचार्य को हाल ही में ईडी ने डब्ल्यूबीएसएससी घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था और वह इस समय केंद्रीय एजेंसी की हिरासत में हैं।
ईडी के अधिकारियों ने कहा कि उनके बेटे के कुछ एनजीओ संचालित शैक्षणिक संस्थानों से संबंध थे, जो नौकरी-उन्मुख प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।ईडी ने भट्टाचार्य के बेटे के बैंक खातों में लेन-देन के विवरण और अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच से, इन शैक्षणिक संस्थानों के साथ बाद के नियमित संबंधों का पता लगाया है।
ईडी के एक अधिकारी ने कहा, हमारे पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि अपात्र उम्मीदवारों को इन संस्थानों में शिक्षकों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भारी दान के बदले प्रवेश मिलता था और इन एनजीओ द्वारा संचालित संस्थानों से अर्जित डिग्री या प्रमाणपत्र के आधार पर उन्हें विभिन्न सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति मिलती थी।
ईडी ने 15 अक्टूबर को तापस कुमार मंडल के परिसरों पर छापा मारा था, जो एनजीओ की आड़ में ऐसे संस्थानों को चलाते थे, जैसे कि मिनर्वा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी, कामाख्या बालक आश्रम और कामाख्या इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन।
मिनर्वा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी विभिन्न जॉब-ओरिएंटेड सर्टिफिकेट कोर्स संचालित करती थी और केंद्रीय एजेंसी को संदेह है कि वास्तव में इसने अपात्र उम्मीदवारों की भर्ती अनियमितताओं में एक सेतु का काम किया होगा।ईडी अधिकारी ने कहा, मंडल इस खेल में एकमात्र लिंकमैन नहीं हैं। कई और एनजीओ संचालित संस्थान हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घोटाले में शामिल थे।
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Created On :   17 Oct 2022 11:00 PM IST