अपनी बढ़ती प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ग्रहण की अध्यक्षता

In a display of its growing prestige, India assumed the presidency of the United Nations Security Council.
अपनी बढ़ती प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ग्रहण की अध्यक्षता
जी20 के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपनी बढ़ती प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ग्रहण की अध्यक्षता

डिजिटल डेस्क, संयुक्त राष्ट्र। खंडित दुनिया में एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करने के वादे के साथ भारत ने अपनी बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करते हुए जी20 का नेतृत्व संभालने के कुछ घंटों बाद ही उसी दिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भी ग्रहण की।

संयुक्त राष्ट सुरक्षा पर्षिद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को कहा कि परिषद में भारत एकता की दिशा में काम करेगा।प्रमुख औद्योगिक और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी20 की तरह, जब दुनिया युद्धों और आर्थिक संकटों से खतरों का सामना कर रही है, भारत एक ध्रुवीकृत परिषद की अध्यक्षता करने के चुनौतीपूर्ण कार्य का सामना कर रहा है।

इन दोनों संगठनों में ही पश्चिमी देश और रूस और चीन एक-दूसरे के खिलाफ हैं।उन्होंने कहा, भारत अंतरराष्ट्रीय संकटों में एक बहुत प्रभावी पहला उत्तरदाता रहा है और हम परिषद में भी ऐसा करना जारी रखेंग।सुरक्षा परिषद प्रमुख का पद संभालने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कंबोज ने कहा, यह भारत का तरीका है।उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा देश है जो अपने दम पर खड़ा है और उसकी अपनी स्वतंत्र नीतियां हैं।गौरतलब है कि विजया लक्ष्मी पंडित के महासभा की अध्यक्ष बनने के 69 साल बाद कंबोज सुरक्षा परिषद की प्रमुख बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष रहने के दौरान भारत दो सत्र आयोजित करेगा। प्रथम आतंकवाद से लड़ना और द्वितीय 1940 के दशक से अटकी सुरक्षा परिषद सहित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में सुधार करना।उन्होंने कहा, भारत यूएन मुख्यालय में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण करेगा और शांति सैनिकों पर हमलों का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रों के एक समूह का आयोजन करेगा।सुरक्षा परिषद में रूसी वीटो के कारण यूक्रेन पर गतिरोध के प्रबंधन के बारे में पूछे जाने पर कंबोज ने कहा कि भारत के पास दोनों पक्षों के साथ बातचीत का अवसर है।

कंबोज ने कहा कि मोदी और जयशंकर ने संघर्ष के कूटनीतिक समाधान के लिए रूस और यूक्रेन दोनों के नेतृत्व से बात की है।उन्होंने कहा, हम उन कुछ देशों में से हैं, जो यह कहने की हिम्मत करते हैं कि वे दोनों से बात कर रहे हैं।यह पूछे जाने पर कि क्या भारत परिषद की दिशा बदल सकता है, उन्होंने संदेह व्यक्त करते हुए कहा, हम बहुत सकारात्मकता के साथ काम करना जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत हमेशा किसी भी विवाद के राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में है।देशों के तटस्थ होने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लादिमिर की टिप्पणी के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कम्बोज ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करेंगी, लेकिन भारत की स्थिति को स्पष्ट करेंगी।

अंतरराष्ट्रीय ढांचे में सुधार पर कंबोज ने कहा कि यह पुरातन है और कूटनीतिक और राजनीतिक से लेकर आर्थिक तक सभी क्षेत्रों में है।उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के कारण अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी बढ़ती भूमिका और वैश्विक संकटों के प्रति अपनी भूमिका के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट का दावा करता है।

उन्होंने हाल के दो संकटों का उदाहरण दिया। कोविड महामारी के दौरान भारत ने दुनिया भर के देशों को 40 मिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक प्रदान की, और यूक्रेन युद्ध के कारण हुई भोजन की कमी को दूर करने के लिए भारत ने न केवल पड़ोसियों को बल्कि अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों को भी खाद्यान्न भेजा।उन्होंने कहा कि सितंबर में महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में 73 देशों के नेताओं ने परिषद में सुधार की मांग की।कंबोज ने कहा, यह एक आकस्मिक संयोग नहीं है बल्कि व्यापक सदस्यता की सोच का प्रतिबिंब है।उन्होंने कहा, भारत आतंकवाद से लड़ने पर वैश्विक सहमति प्राप्त करने की परिषद की घोषणा को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा।

 

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Created On :   2 Dec 2022 4:01 PM IST

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