पश्चिम बंगाल में ममता ने भाजपा मॉडल को सिर के बल खड़ा किया

In West Bengal, Mamta made the BJP model stand on its head
पश्चिम बंगाल में ममता ने भाजपा मॉडल को सिर के बल खड़ा किया
पश्चिम बंगाल सियासत पश्चिम बंगाल में ममता ने भाजपा मॉडल को सिर के बल खड़ा किया

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में आंकड़े नहीं आए और 294 सीटों वाली विधानसभा में भगवा खेमा 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका। नतीजों में आई संख्या भी बाद में तेजी से घटने लगी और भाजपा की मौजूदा संख्या 70 हो गई है, क्योंकि पार्टी के कई विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। यहां तक कि भाजपा के दो कद्दावर लोकसभा सदस्य, बाबुल सुप्रियो और अर्जुन सिंह भी सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, विपक्षी विधायकों को आकर्षित करके विपक्षी शासित राज्य सरकारों को गिराने के लिए भाजपा के विघटन मॉडल ने भले ही महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी के लिए काम किया हो, लेकिन पश्चिम बंगाल में वही मॉडल भगवा खेमे के पक्ष में काम नहीं कर रहा है, बल्कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस राज्य में भाजपा को कमजोर करने के लिए उसी के मॉडल का इस्तेमाल कर रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मुद्दे कई होने के बावजूद विपक्षी दल के तौर पर भाजपा की स्थिति काफी निराशाजनक नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषक अरुं धति मुखर्जी ने कहा, सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा राज्य में शिक्षकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हैं, एक ऐसा मुद्दा, जिसमें जनहित शामिल है, क्योंकि वास्तविक उम्मीदवारों को वंचित कर अयोग्य उम्मीदवारों के लिए जगह बनाई गई थी। लेकिन हम शायद ही भाजपा को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए सड़कों पर उतरते हुए देखते हैं। विधानसभा में शून्य प्रतिनिधित्व के बावजूद माकपा और कांग्रेस भाजपा की तुलना में सड़कों पर अधिक दिखाई देती हैं। ऐसे में, भाजपा का ध्यान केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच की प्रगति पर है।

वास्तव में, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, दोनों ने इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल की अपनी यात्राओं के दौरान पार्टी के राज्य नेतृत्व को सलाह दी थी कि वे केंद्रीय एजेंसियों पर निर्भर रहने के बजाय राज्य में ज्वलंत मुद्दों पर जन आंदोलन आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित करें। हालांकि, इसमें संदेह है कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व शाह और नड्डा की सलाह को जमीनी स्तर पर लागू करने को लेकर कहां तक गंभीर है।

सीबीआई और ईडी पर राज्य के भाजपा नेताओं की निर्भरता जारी है और हर बार शिक्षक भर्ती घोटाले, कोयला और पशु तस्करी या चुनाव के बाद की हिंसा जैसे विभिन्न मामलों के संबंध में किसी भी केंद्रीय एजेंसी द्वारा सत्ताधारी पार्टी के नेता को बुलाया जाता है। भगवा खेमे के नेता उत्साही मीडिया बाइट देते हैं और आशा व्यक्त करते हैं कि सत्तारूढ़ दल के नेता जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे।

राजनीतिक विश्लेषक राजगोपाल धर चक्रवर्ती के अनुसार, इस समय राज्य भाजपा नेतृत्व की प्रमुख चिंता पार्टी से वरिष्ठ नेताओं के पलायन को रोककर पार्टी को बरकरार रखना है। भाजपा अन्य राज्यों में विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए जो रणनीति अपना रही है, उसे तृणमूल कांग्रेस की उसी रणनीति का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए भाजपा की राज्य इकाई भविष्य की चुनावी सफलताओं के लिए केंद्रीय एजेंसियों की प्रगति पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, मेरी राय में, राज्य में भाजपा जब तक मुद्दों पर अपनी जन आंदोलन रणनीति नहीं बनाती है, तब तक 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को कमजोर किए जाने की बहुत कम संभावना है। केंद्रीय एजेंसियों पर पूर्ण निर्भरता भाजपा को किसी जन आंदोलन के बिना आगे नहीं ले जाएगी। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व को भी पश्चिम बंगाल में भाजपा की इस कमजोरी का अहसास हो गया है। यही कारण है कि तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित अन्य नेता सार्वजनिक रूप से दावा करते रहे हैं कि केंद्रीय एजेंसियां भाजपा का अंतिम हथियार बन गई हैं और उनका अपना संगठन और राज्य में जनाधार पूरी तरह से गायब हो गया है।

तृणमूल के प्रदेश महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष के मुताबिक, केंद्रीय एजेंसियों को खुला छोड़ना भाजपा के राजनीतिक दिवालियेपन का सबूत है। उन्होंने कहा, 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद उन्होंने महसूस किया है कि उनके अंत की शुरुआत हो चुकी है और 2024 के लोकसभा चुनावों में भगवा खेमे के लिए पश्चिम बंगाल में कोई मौका नहीं है। इसलिए, हताशा में वे केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

हालांकि, पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य तृणमूल कांग्रेस के इस सिद्धांत का खंडन करते हैं। उन्होंने सवाल किया, क्या तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व इस बात से इनकार कर सकता है कि भ्रष्टाचार की इतनी सारी घटनाएं हुई हैं? भाजपा को केंद्रीय एजेंसियों की जांच से क्या लेना-देना है, जब कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस तरह की जांच की जा रही है? क्या भाजपा तय करती है कि सीबीआई या ईडी कब और कैसे कार्य करेगा?

(आईएएनएस)

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Created On :   16 July 2022 10:31 AM GMT

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