जेपी नड्डा ने मुखर्जी की संदिग्ध मौत के मामले को उठाया, नेहरू पर साधा निशाना

JP Nadda takes up the case of Mukherjees suspicious death, targeting Nehru
जेपी नड्डा ने मुखर्जी की संदिग्ध मौत के मामले को उठाया, नेहरू पर साधा निशाना
जेपी नड्डा ने मुखर्जी की संदिग्ध मौत के मामले को उठाया, नेहरू पर साधा निशाना
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  • जेपी नड्डा ने मुखर्जी की संदिग्ध मौत के मामले को उठाया
  • नेहरू पर साधा निशाना

नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)। जनसंघ संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर भाजपा ने एक बार फिर उनकी संदिग्ध मौत के मामले को उठाते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संदिग्ध मौत की जांच न कराए जाने पर नेहरू की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। पश्चिम बंगाल में सोमवार को हुई वर्चुअल रैली में जेपी नड्डा ने श्रीनगर में सेहत बिगड़ने पर उनके इलाज को लेकर भी सवाल खड़े किए।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, जो व्यक्ति 11 जून 1953 को स्वस्थ रूप में जम्मू-कश्मीर पहुंचता है। उस व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद अचानक 23 जून को कैसे जीवनलीला समाप्त हो जाती है। अस्पताल में कितने समय तक वह रहे, डॉक्टरों ने कौन सी दवाई उन्हें दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और गृहमंत्री उस वक्त जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने जेल में बंद विपक्ष के नेता के बारे में कोई जानकारी नहीं ली। यह उनका प्रजातांत्रिक चेहरा था।

भाजपा अध्यक्ष ने संदेहास्पद मौत की जांच न होने को लेकर भी सवाल खड़े किए।

उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी की मां ने बेटे की मौत की जांच को लेकर प्रधानमंत्री नेहरू को पत्र लिखा था, मगर उन्होंने मंजूरी ही नहीं दी। इंक्वायरी न होने देना, नेहरू का प्रजातांत्रिक चेहरा बताता है। श्रीनगर से जब मुखर्जी का पार्थिव शरीर कलकत्ता ले जाना था, तब वहां पहुंचे शेख अब्दुल्ला से जब इस मसले पर पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इन्कार किया। सोचिए, मानवता का पक्ष कितना दर्दनाक था।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ. मुखर्जी के भारत निर्माण में योगदान की चर्चा की। जेपी नड्डा ने कहा, मुखर्जी ने बंगाल को बचाकर भारत का अटूट हिस्सा बनाया, नहीं तो यह पाकिस्तान में चला जाता। तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ उन्होंने हमेशा लड़ाई लड़ी। उन्होंने बंगाल प्रदेश ही नहीं उसकी संस्कृति का भी ध्यान रखा।

जेपी नड्डा ने कहा, डॉ. मुखर्जी ने 1951 में जनसंघ की स्थापना की और 1952 में कानपुर के अधिवेशन में ये विषय रख दिया की जम्मू-कश्मीर का विलय पूर्ण होना चाहिए और संपूर्ण होना चाहिए। 1952 में डॉ मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की और जनसंघ के पहले अध्यक्ष बने। जिस जनसंघ की यात्रा से बढ़कर आज भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी है उसकी नींव रखने का काम डॉ मुखर्जी जी ने किया था। ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, हमें खुशी है के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उनके बलिदान पर करोड़ों कार्यकर्ता दिन रात चले और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने वो मुकाम हासिल किया और धारा 370 को धराशायी कर दिया। अब हमें भाजपा को जिताकर बंगाल का गौरव वापस लाना है।

Created On :   6 July 2020 9:01 AM GMT

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