पड़ोसी राज्यों की तरह कर्नाटक में रेवड़ी कल्चर नहीं

Like the neighboring states, there is no Revadi culture in Karnataka.
पड़ोसी राज्यों की तरह कर्नाटक में रेवड़ी कल्चर नहीं
कर्नाटक पड़ोसी राज्यों की तरह कर्नाटक में रेवड़ी कल्चर नहीं

डिजिटल डेस्क, बंगलुरु। अपने पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के उलट कर्नाटक हमेशा लोगों को मुफ्त उपहार देने पर एक संयमित ²ष्टिकोण अपनाता रहा है। हालांकि राज्य अब ज्यादा वायदे कर रहा है, लेकिन अब तक मुफ्त रेवड़ी देने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।कर्नाटक में किसानों को मुफ्त बिजली दी गई। मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा के नेतृत्व में कांग्रेस के शासन के दौरान 10 एचपी तक के बोरवेल वाले किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा की गई थी।

इससे लाखों किसान लाभान्वित हुए और उनकी सूखी जमीन तक सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ। इस कदम को आधुनिक कर्नाटक के इतिहास में क्रांतिकारी माना गया और इसके बाद कई पड़ोसी राज्यों ने इसका अनुसरण भी किया।इसके बाद किसानों को कर्ज के चंगुल से बचाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों ने ऋण माफी की योजना बनाई।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने देश में पहली मुख्यमंत्री रायता विद्या निधि योजना शुरू की है, जिसके तहत 10.03 लाख बच्चों को 439.95 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति वितरित की गई। भाजपा सरकार ने इस योजना का विस्तार बुनकरों, मछुआरों और टैक्सी ड्राइवरों के बच्चों के लिए किया है।

बोम्मई ने यह भी घोषणा की है कि उनकी सरकार भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कर्नाटक को कम से कम 1 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाएगी।कोरोना महामारी के बाद राज्य सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला और बुनियादी ढांचे पर ज्यादा ध्यान दे रही है।

कुस्तगी निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक अमारे गौड़ा बयापुर ने आईएएनएस को बताया कि इस तर्क में कोई दम नहीं है कि लोगों का समर्थन करना सरकार के लिए आर्थिक बोझ है। उन्होंने कहा, सरकार लोगों के लिए है। लोगों के कल्याण की देखभाल करना किसी भी सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

विफलताएं हो सकती हैं, दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन इसे बोझ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि बोरवेल, मकान, लोगों को जमीन, स्कूलों के माध्यम से किताबें बांटना और छात्रों को भोजन उपलब्ध कराना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि सिद्दारमैया के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई अन्नभाग्य योजना (परिवारों को मुफ्त चावल प्रदान करना) से गरीब लोगों को काफी फायदा हुआ है। भोजन की आपूर्ति का आश्वासन देकर, गरीब अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।हर योजना के अपने गुण और दोष होंगे। बयापुरा ने कहा कि बहुत से गरीब भोजन के आश्वासन के कारण घर बनाने में सक्षम हो पाए हैं।

राजनीतिक विश्लेषक बसवराज सुलिभवी ने कहा कि हमारा राज्य कल्याणकारी राज्य है न कि पुलिस राज्य। लोगों की जरूरतों को पूरा करना सरकार का कर्तव्य है। अगर लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा तो यह सरकार के लिए शमिर्ंदगी की बात होगी।

फ्रीबी शब्द का प्रयोग मान्य नहीं है। फ्रीबी शब्द के दायरे में नागरिक समाज की आवश्यकताएं निहित हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान के तहत सरकार को दायित्वों की पूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।हालांकि, लोगों के जीवन और आजीविका का समर्थन करना अलग है और वोट की राजनीति करने के लिए लोगों को मुफ्त में लुभाना अलग है। उस पर हमें आपत्ति है।

 

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   21 Aug 2022 2:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story