मप्र की राजनीति और चंपक वन

MP politics and Champak forest
मप्र की राजनीति और चंपक वन
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भोपाल, 7 जुलाई (आईएएनएस)। बच्चों की पसंदीदा कहानी पत्रिकाओं में से एक है चंपक। इस पत्रिका में चंपक वन की कहानियां बच्चों को खूब गुदगुदाती है और हंसाती हैं, साथ में संदेश भी देती हैं। इन दिनों मध्यप्रदेश की राजनीति भी चंपक वन जैसी हो गई है, जिसमें टाइगर, शेर, हाथी, घोड़े से लेकर मोगली तक की बात हो रही है।

राज्य में सत्ता परिवर्तन क्या हुआ, मतदाता की समस्याओं और परेशानियों से दूर राज्य की सियासत में जंगली जानवरों को लेकर बहस छिड़ गई है। कोई अपने को टाइगर बता रहा है तो कोई दूसरे को पेपर टाइगर। इतना ही नहीं, मोगली (फिल्म जंगल बुक का बाल किरदार) तक बताने में राजनेताओं को परहेज नहीं है। राजनेताओं के हालिया बयान चंपक वन के किरदारों की याद दिलाने के लिए काफी है।

राज्य की कांग्रेस सरकार को गिराकर सत्ता में बदलाव लाने में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है, इसी के चलते कांग्रेस के निशाने पर सिंधिया हैं। यही कारण है कि कांग्रेस लगातार उन पर तरह-तरह के आरोप लगा रही है, तंज कस रही है तो सिंधिया ने दिग्विजय सिंह और कमल नाथ का नाम लेते हुए कहा कि ये दोनों नेता जान लें कि टाइगर अभी जिंदा है।

सिंधिया के टाइगर अभी जिंदा है वाले बयान के आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने ही तरह से सिंधिया पर हमला बोला और यहां तक कहा कि कभी वे स्वयं और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया के साथ मिलकर शेर का शिकार करने जंगल जाते थे। बात यहीं नहीं रुकी, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने तो यहां तक कह दिया कि कौन टाइगर है और कौन पेपर टाइगर है, यह जनता बताएगी। टाइगर कहकर जनता को गुमराह किया जा रहा है, मगर जनता यह जानती है कि कौन टाइगर है, कौन घोड़ा है कौन बिल्ली है और कौन चूहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री व मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने तो खुद को मोगली बता डाला। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश पेंच क्षेत्र के जंगल में एक मोगली हुआ है, मोगली को कोई काम सौंप दोगे तो वह किसी चीज से डरेगा ही नहीं, क्योंकि वह तो जंगल में ही रहा शेरों, बाघों के बीच में। वह तो छलांगे मार-मार कर काम करेगा। मैं तो मोगली ही हूं और मोगली ही रहूंगी।

सिंधिया की करीबी नेताओं में गिनी जाने वाली राज्य की मंत्री इमरती देवी तो खुद को शेरनी बताती हैं। वही मंत्री अरविंद भदौरिया ने तो दिग्विजय सिंह पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था, उनके बाप तक ने भी कभी टाइगर का शिकार नहीं किया है, वे चूहा-बिल्ली मारते रहे होंगे।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि इन दिनों राज्य की सियासत में नेताओं में मीडिया में जगह पाने की होड़ मची हुई है, उन्हें कुछ भी बोलने से परहेज नहीं है और वे आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव के मद्देनजर, जनता के बीच ज्यादा से ज्यादा अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं, यही कारण है कि वे अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए एक-दूसरे को चंपक वन का पात्र बनाने में लग गए हैं।

Created On :   7 July 2020 6:30 PM IST

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