नीतीश कुमार ने प्रदेश के स्वास्थ्य प्रणाली की कार्यशैली पर नाराजगी जताई
डिजिटल डेस्क, पटना। डॉक्टरों की कार्यशैली से नाराज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को मुख्य सचिव को फटकार लगाई और उन्हें तुरंत चीजों को ठीक करने का निर्देश दिया।
मधेपुरा जिले के एक व्यक्ति के जनता दरबार में पेश होने के बाद यह बात सामने आई कि वहां के सदर अस्पताल में डॉक्टर मरीजों का इलाज नहीं करते।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया, मेरे जैसे मरीज लंबे समय तक कतारों में इंतजार करते हैं और डॉक्टर यह कहकर हमारा इलाज नहीं करते कि ओपीडी का समय खत्म हो गया है। अस्पताल में डॉक्टरों का यह नियमित अभ्यास है।
शिकायत सुनने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने के लिए बुलाया। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य को भी मामले को गंभीरता से लेने और मामले का समाधान करने को कहा।
उन्होंने कहा, अस्पतालों में यह कैसे हो सकता है। अगर डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों को सेवा करनी है, तो उन्हें भी अस्पताल में अनुशासन बनाए रखना चाहिए। वे केवल ओपीडी का समय खत्म होने के आधार पर मरीजों को नहीं छोड़ सकते।
बिहार के सरकारी अस्पताल खासकर ग्रामीण इलाकों में दयनीय स्थिति में हैं और अगर कोई निजी अस्पताल में जाता है, तो उन्हें टेस्ट के नाम पर भारी शुल्क देना पड़ता है। कई रोगियों ने दावा किया कि सरकार ने डेंगू और चिकनगुनिया टेस्ट की दर तय नहीं की है, जिस कारण उनसे 3,000 रुपये या उससे अधिक का शुल्क वसूला जाता है।
(आईएएनएस)
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Created On :   11 Oct 2022 12:00 AM IST