ओबीसी आरक्षण ने भाजपा-कांग्रेस की बढ़ाई चुनौती

OBC reservation increased the challenge of BJP-Congress
ओबीसी आरक्षण ने भाजपा-कांग्रेस की बढ़ाई चुनौती
मध्य प्रदेश ओबीसी आरक्षण ने भाजपा-कांग्रेस की बढ़ाई चुनौती
हाईलाइट
  • ओबीसी आरक्षण का सच्चा हिमायती कौन?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मसला बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है। इस वर्ग के मतदाताओं का दिल जीतना कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती बन गया है, क्योंकि दोनों दलों के लिए इस वर्ग के बीच यह संदेश पहुंचाना कठिन हो गया है कि कौन वाकई में ओबीसी आरक्षण का सच्चा हिमायती है।

ज्ञात हो कि राज्य में पंचायत चुनाव ओबीसी के आरक्षण के मुद्दे पर ही निरस्त हुए है। इस वर्ग के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से 27 प्रतिशत किए जाने का मामला न्यायालय में लंबित है। पंचायत चुनाव में भी आरक्षण व्यवस्था लागू किए जाने के बाद सियासी माहौल गरमाया हुआ था, मगर पूर्व में किए गए परिसीमन और आरक्षण में रोटेशन की प्रक्रिया को लागू न किए जाने पर भी कई लोगों ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर दिए गए निर्देश और फिर राज्य विधानसभा में ओबीसी को आरक्षण के बिना चुनाव न कराने का संकल्प पारित किया गया। विधानसभा में तमाम राजनीतिक दलों ने ओबीसी के आरक्षण पर राजी थे। विधानसभा में पारित किए गए संकल्प और सरकार की पहल के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव निरस्त करने का फैसला लिया। पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद राज्य की सियासत गरमाई हुई है। ओबीसी महासभा के आह्वान पर रविवार को भोपाल में प्रदर्शन करने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचे थे। इस प्रदर्शन के बाद भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर भी है तो वही अपने आप को ओबीसी का हिमायती बताने में लगे हुए।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा है कि कांग्रेस बताए उसने राजनीति के अलावा पिछड़ों के लिए क्या किया। कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी, लेकिन जब मामला अदालत में पहुंचा, तो कांग्रेस की सरकार ने अपने एडवोकेट जनरल को पक्ष रखने ही नहीं भेजा। यही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या ही 27 प्रतिशत बताकर आरक्षण की बात को मजाक बना दिया। कांग्रेस की आपराधिक लापरवाही के कारण ही यह मामला आज तक उलझा हुआ है, जिसे प्रदेश की शिवराज सरकार पिछड़ा वर्ग के हक में सुलझाने का प्रयास कर रही है।

शर्मा ने न्यायालय में पहुंचे मामले को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा और कहां जब पंचायत चुनावों में ओबीसी को आरक्षण का लाभ मिल रहा था, तो कांग्रेस ने एक बार फिर पिछड़ा वर्ग के हितों पर कुठाराघात करते हुए अदालत में याचिका लगाकर इस मामले को भी उलझा दिया। लेकिन प्रदेश की शिवराज सरकार ने चुनाव संबंधी अध्यादेश वापस लेकर यह साबित कर दिया है कि वह हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ने पर विश्वास करती है।

पंचायत चुनाव के परिसीमन और आरक्षण में रोटेशन की मांग को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से बन सकते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में पंच, सरपंच ,जनपद और जिला पंचायत सदस्य ओबीसी वर्ग से नहीं बन सकते। यह है भाजपा का सब का, साथ सब का विकास और सब का विश्वास। राज्य में दोनों ही राजनीतिक दलों ने गांव की ओर रुख करने का मन बना लिया है। आने वाले दिनों में घर-घर तक विभिन्न अभियानों के जरिए दस्तक दिया जाएगा और यह बताने की कोशिश होगी की वही सच्चा हिमायती हैं, साथी यह भी बताएंगे कि दूसरा दल ओबीसी विरोधी है। कुल मिलाकर पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मसला बड़ा सियासी मुद्दा बनेगा इतना तो तय है।

 

आईएएनएस

Created On :   3 Jan 2022 11:30 AM IST

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