राज्यसभा: विपक्ष के बहिष्कार के बीच मजदूरों और कामगारों से जुड़े 3 बिल और जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक समेत 6 बिल पास
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र का आज 10वां दिन है। राज्यसभा से निलंबित आठ सांसदों के मुद्दे पर एकजुट विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने कल मंगलवार को राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया और सदन से वॉकआउट कर गए। आज बुधवार को राज्यसभा ने विपक्ष के बहिष्कार के बीच मजदूरों और कामगारों से जुड़े तीन बिल और जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक समेत कुल 6 विधेयक पास कर दिए हैं।
Rajya Sabha passes the Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020, the Industrial Relations Code 2020 and the Code on Social Security, 2020.
— ANI (@ANI) September 23, 2020
Lok Sabha had passed the Bills yesterday. pic.twitter.com/fUiUJHXgga
जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक, 2020 राज्यसभा से पास
जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक 2020 राज्यसभा से पास हो गया है। यह बिल मंगलवार को लोकसभा में पारित हुआ था।
Rajya Sabha passes Jammu and Kashmir Official Languages Bill, 2020.
— ANI (@ANI) September 23, 2020
Lok Sabha had passed the Bill yesterday. pic.twitter.com/1TADnaUH5g
ये 6 बिल राज्यसभा से हुए पास
राज्यसभा में उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, विदेशी अभिदाय विनियमन (संशोधन) विधेयक 2020, अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक 2020 और जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक 2020 बिल पारित हुए हैं। ये सभी विधेयक लोकसभा में पहले ही पास हो चुके हैं।
Rajya Sabha passes the Bilateral Netting of Qualified Financial Contracts Bill, 2020.
— ANI (@ANI) September 23, 2020
Lok Sabha had passed the Bill on 20th September. pic.twitter.com/Knqy7rlUyy
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पेश किए श्रम संहिता से जुड़े तीनों विधेयक
मजदूरों और कामगारों से जुड़े तीनों बिल मंगलवार को लोकसभा में पास किए गए थे। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार को श्रम संहिता से जुड़े तीन विधेयकों को राज्यसभा में पेश किया। उन्होंने कहा, 44 श्रम कानूनों में से 17 को पहले ही निरस्त कर दिया गया है। स्टैंडिंग कमेटी द्वारा की गई 233 सिफारिश के बाद यह बिल पेश किया गया। इन बिलों में 74% सिफारिश शामिल की गई हैं। गंगवार ने कहा, सरकार ने श्रम एवं रोजगार संबंधी संसदीय स्थायी समिति की 233 सिफारिशों में से 174 को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया, सरकार ने व्यापक अध्ययन और सलाह के बाद इन विधेयकों को तैयार किया गया है। इनका मसौदा तैयार करते वक्त 9 त्रिपक्षीय बैठकें आयोजित की गई थीं।
LEM Shri @santoshgangwar introduces 3 historic Game Changer Labour welfare reforms in Rajya Sabha for consideration and passing.
— Ministry of Labour (@LabourMinistry) September 23, 2020
FULL VIDEO- https://t.co/Kt5lwSzoFu#AtmanirbharShramik #BadegaRozgar @PIB_India @PMOIndia @mygovindia @DDNewslive @PTI_News @MIB_India @DDNewslive pic.twitter.com/UN2JJb72Br
राज्यसभा में पारित विदेशी अभिदाय विनियमन (संशोधन) विधेयक (Foreign Contribution Regulation Amendment Bill) 2020 में विदेशी धन प्राप्त करने वाले संगठनों के पंजीकरण के लिए आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया गया, साथ ही सरकार को संगठन को जांच के माध्यम से विदेशी धन के उपयोग को रोकने की शक्तियां भी दी गई।
#Parliament
— DD News (@DDNewslive) September 23, 2020
Rajya Sabha passes Foreign Contribution (Regulation) Amendment Bill, 2020 pic.twitter.com/k0d5GpNy2C
विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक, विदेशी अभिदाय विनियमन अधिनियम, 2010 में संशोधन की मांग के बारे में है, यह लोक सेवकों को निषिद्ध श्रेणी में शामिल करने और एक संगठन द्वारा विदेशी धनराशि के माध्यम से प्रशासनिक व्यय को घटाकर 50 प्रतिशत से 20 करने का प्रस्ताव करता है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा, विधेयक सुनिश्चित करता है कि, एनजीओ को धन प्राप्त करने के लिए एसबीआई एफसीआरए शाखा में एक खाता खोलना अनिवार्य है और फिर अपनी पसंद के एक अन्य बैंक में एक और खाता खोलना होगा, इसके लिए उन्हें दिल्ली की यात्रा नहीं करनी होगी लेकिन निकटतम एसबीआई अकाउंट नई दिल्ली में खाता खोलने की सुविधा प्रदान करेगा। किसी अन्य संघ या व्यक्ति को विदेशी योगदान के किसी भी हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने की मांग के बारे में भी है। अधिनियम की धारा 17 में संशोधन प्रत्येक व्यक्ति जिसे धारा 12 के तहत एक प्रमाण पत्र या पूर्व अनुमति दी गई है, केवल एफसीआरए अकाउंट के रूप में चिन्हित खाते में विदेशी योगदान प्राप्त करेगा।
अनुपालन तंत्र को मजबूत करने, रसीद में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने और हर साल हजारों करोड़ रुपये के विदेशी योगदान के उपयोग और पारदर्शिता के साथ ही समाज कल्याण के लिए काम करने वाले वास्तविक गैर-सरकारी संगठनों या संघों को सुविधा प्रदान करने के लिए पहले के अधिनियम के प्रावधानों को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता थी।
उन्होंने 2010 में किए गए संशोधन का उदाहरण दिया जब प्रशासनिक खचरें को घटाकर 50 फीसदी कर दिया गया था, तब इसे 10 फीसदी तक कम करने की भी मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि पी. चिदंबरम ने तब उल्लेख किया था कि 10,000 करोड़ के विदेशी अभिदाय का ऑडिट तक नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, ऐसे दर्जनों गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ भी आपराधिक जांच शुरू की गई, जो विदेशी योगदान का गलत इस्तेमाल करते थे। अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (1) के क्लॉज (सी) में संशोधन करने की मांग करते हुए, सरकार ने लोक सेवकों को इसके दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके द्वारा कोई विदेशी योगदान स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे पहले, यह विधायकों, चुनाव उम्मीदवारों, पत्रकारों, प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया, न्यायाधीशों, सरकारी कर्मचारियों या किसी निगम के कर्मचारियों या किसी अन्य निकाय या सरकार के स्वामित्व वाले कर्मचारियों तक सीमित था।
Created On :   23 Sept 2020 12:38 PM IST