मप्र में कुलपति नियुक्ति को सियासी रंग

Political color to Vice Chancellor appointment in MP
मप्र में कुलपति नियुक्ति को सियासी रंग
मध्यप्रदेश मप्र में कुलपति नियुक्ति को सियासी रंग

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ लगातार एक बात कहते आ रहे हैं कि राज्य में हमारा मुकाबला भाजपा की सरकार से नहीं बल्कि संगठन है। यही कारण है कि कांग्रेस ने जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर भाजपा संगठन के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा को घेरने की कोशिश तेज कर दी है, ताकि भाजपा संगठन को कमजोर किया जा सके।

जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का मामला इन दिनों सियासी गलियारे में जोर पकड़े हुए है, यहां के कुलपति पद पर डॉ पी के मिश्रा की नियुक्ति हुई है। मिश्रा ने चार दशक तक कृषि विश्वविद्यालय के साथ अनेक कृषि शोध से जुड़ी संस्था में बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है।

कुलपति पद पर मिश्रा की नियुक्ति पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख के के मिश्रा ने तंज कसा और कहा, मैं पारिवारिक हमले नहीं करता हालांकि 18 साल में मेरे परिवार को कई तरह से प्रताड़ित किया गया, किंतु यह जानना जरूरी है कि कुलाधिपति ने जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में जिन पी के मिश्रा की नियुक्ति की है, क्या इसलिए कि वे संघी हैं, अतियोग्य हैं या वी डी शर्मा के ससुर।

कुलपति की चयन समिति से जुड़े लोगों के मुताबिक लगभग दो माह चयन प्रक्रिया चली, 40 से ज्यादा आवेदन आए। अंत में छह की सूची राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत की गई और उसमें से तीन प्रमुख दावेदारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। इसमें जो व्यक्ति सबसे सक्षम और योग्य पाया गया उसे ही कुलपति पद के लिए चयनित किया गया।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है कि, राज्य में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती भाजपा का संगठन है। इसका कारण है प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की सक्रियता। शर्मा कांग्रेस के दिग्गजों में शामिल दिग्विजय सिंह के सीधे निशाने पर होते हैं। अभी तक कांग्रेस के हाथ कोई ऐसा मुददा नहीं आया था जिससे शर्मा को घेरा जा सके। इसके साथ ही शर्मा को एक बार फिर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का एक्सटेंशन मिलना तय है, इसलिए इस बात की आशंका को नहीं नकारा जा सकता कि इसमें पार्टी के भीतर से भी साजिश रची गई हो।

थॉमस का आगे कहना है कि, सियासत में मजबूत विरोधी निशाने पर होता है। यही कारण है कि कांग्रेस द्वारा शर्मा को घेरा जा रहा है। साथ ही एक सवाल है कि बीजेपी के कई नेताओं और मंत्रियों के नाते रिश्तेदार बड़ी जिम्मेदारी संभाले हैं। मगर उन पर कांग्रेस ने कभी हमला नहीं बोला। अगर मिश्रा की नियुक्ति और योग्यता को लेकर कोई सवाल है तो उसे कांग्रेस को सामने लाना चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

मिश्रा के अनुभव और योग्यता को लेकर जो ब्यौरा सामने आ रहा है, उसके मुताबिक वे लगभग चार दशक तक कृषि शिक्षा और शोध कार्य में सक्रिय रहे हैं, वे जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के बाद प्राध्यापक, कृषि विभाग के अध्यक्ष, कृषि शास्त्र और कृषि प्रबंधन के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा कुलसचिव की जिम्मेदारी भी उनके पास रही, साथ ही टीकमगढ़ के कृषि महाविद्यालय के डीन भी रहे, उनके पास निदेशक पद की जिम्मेदारी रही।

इतना ही नहीं उन्होंने अपने जीवन काल में 15 अनुसंधान परियोजनाओं की शुरूआत की और अनेक आलेख प्रकाशित हुए तो वहीं दर्जनों सम्मेलनों में भाग लिया। उनके एग्रो इकोनॉमिक्स रिसर्च सेंटर के तहत 93 शोध पत्र भी प्रकाशित हुए हैं।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ हितेश बाजपेयी डॉ मिश्रा की नियुक्ति पर किए जा रहे हमलों को सियासी शत्रुता करार देते हुए कहते हैं, कांग्रेस के नेताओं के ससुर लायक क्यों नहीं होते? एक अच्छा वैज्ञानिक अपनी बिटिया कांग्रेसी को क्यों नहीं ब्याहता?

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   20 Nov 2022 12:30 PM IST

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