महामारी पर झूठ फैलाना बेकार है
- महामारी पर झूठ फैलाना बेकार है
बीजिंग, 26 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने महामारी की आड़ में बारांबार चीन पर आरोप लगाया, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन पर बेमतलब हमला बोला। उनका उद्देश्य अपने देश में महामारी की रोकथाम में विफल होने का ठीकरा चीन पर फोड़ना है, जो कि सरासर बेबुनियाद और बेकार है।
झूठ कभी सच को ढक नहीं सकता है। महामारी की रोकथाम में चीन के व्यवहार को पूरी दुनिया ने साफ तौर पर देखा है और इसकी प्रशंसा करती है। कोरोना वायरस मानव जाति का समान दुश्मन है। चीन कोरोना वायरस से ग्रस्त है, बल्कि महामारी की रोकथाम में अहम योगदान देने वाला देश भी है। चीन ने समय पर महामारी की सूचना दुनिया को दी, समय पर इसकी पहचान की और समय पर वायरस का जीन अनुक्रम साझा किया।
वायरस के मानव से मानव संक्रमित होने की पुष्टि के बाद चीन ने समय पर वुहान शहर को बंद करने का फैसला किया। चीन ने हूपेई प्रांत और वुहान शहर में आवाजाही पर सख्त नियंत्रण किया। जब 23 जनवरी को चीन ने वुहान में लॉकडाउन शुरू किया, तब चीन के बाहर अन्य देशों और क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के सिर्फ 9 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ एक मामला अमेरिका में है। 31 जनवरी को अमेरिका ने चीन जाने वाली सीधी उड़ान को स्थगित किया। फिर 2 फरवरी को अमेरिका ने सभी चीनी नागरिकों के अमेरिका जाने पर पाबंदी लगायी। उस समय अमेरिका में बस 10 मामले थे। महामारी की रोकथाम में चीन का प्रयास साफ, खुला और पारदर्शी है।
लेकिन अमेरिका ने क्या किया। अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर बगैर किसी कारण के आरोप लगाया और डब्ल्यूएचओ से हटने का फैसला किया। यह महामारी की रोकथाम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए खतरनाक है। इससे न सिर्फ दुनिया के लोगों को नुकसान पहुंचा है, बल्कि अमेरिकी लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
तथ्यों ने फिर एक बार साबित कर दिया है कि एकतरफावाद और धौंस जमाने का व्यवहार दुनिया के सामने मौजूद सबसे गंभीर खतरा है। अमेरिका को जल्द एकतरफावाद छोड़कर राजनीतिक कुचेष्टा बंद कर देनी चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ महामारी की समान रोकथाम करनी चाहिए, न कि दूसरों पर जिम्मेदारी लादना और कालिख पोतना।
(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
Created On :   26 Sept 2020 9:00 PM IST