शौर्य के वास्तविक इतिहास व दर्शन को आत्मसात करने का आ गया है समय : पीएम

The time has come to imbibe the real history and philosophy of bravery: PM
शौर्य के वास्तविक इतिहास व दर्शन को आत्मसात करने का आ गया है समय : पीएम
नई दिल्ली शौर्य के वास्तविक इतिहास व दर्शन को आत्मसात करने का आ गया है समय : पीएम
हाईलाइट
  • वास्तविक इतिहास को बताने की जरूरत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लंबे समय से इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा था, लेकिन अब देश के वास्तविक इतिहास को बताने की जरूरत है। उन्होंने अहोम सेनापति लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के अवसर पर साल भर चलने वाले समारोह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।

प्रधानमंत्री ने कहा, आजादी के बाद भी लंबे समय तक हमें विकृत औपनिवेशिक इतिहास पढ़ाया गया। हमारा इतिहास शौर्य और दर्शन का है, जिसे अब आत्मसात करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, लचित बोरफुकन का जीवन हमें राष्ट्र प्रथम के मंत्र को जीने के लिए प्रेरित करता है। मोदी ने कहा, भारत का इतिहास विजय का इतिहास है, यह अनगिनत वीरों की वीरता के बारे में है। लेकिन दुर्भाग्य से उनकी वीरता को पहचान नहीं मिली।

उन्होंने कहा, आज देश उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ चुका है और आगे बढ़ रहा है, अपनी विरासत का जश्न मना रहा है और अपने नायकों को गर्व के साथ याद कर रहा है। आज, भारत न केवल अपनी विविध विरासत का जश्न मना रहा है, बल्कि अपने बहादुर गुमनाम नायकों को भी याद कर रहा है।

प्रधान मंत्री ने जोर देते हुए कहा, भारत में अत्याचार करने वालों को करारा जवाब देने की क्षमता है। असम का इतिहास भारत की यात्रा में बहुत गर्व का विषय है। हम भारत के विभिन्न विचारों, विश्वासों और संस्कृतियों को एकजुट करने में विश्वास करते हैं।

उन्होंने कहा, लचित बोरफुकन ने सरायघाट की लड़ाई में मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना के खिलाफ अहोम वंश की सेना का नेतृत्व किया और उन्हें करारी शिकस्त दी।

 

आईएएनएस

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Created On :   25 Nov 2022 3:30 PM IST

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