त्रिपुरा की आदिवासी पार्टी वार्ताकार की मांग पर जोर देने के लिए असम के सीएम से मिलेगी

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अगरतला त्रिपुरा की आदिवासी पार्टी वार्ताकार की मांग पर जोर देने के लिए असम के सीएम से मिलेगी

डिजिटल डेस्क, अगरतला/गुवाहाटी। टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को अचानक गुवाहाटी के लिए रवाना हो गया। प्रतिनिधिमंडल असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से मिलेगा। टीएमपी के सुप्रीमो प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन ने पहले 27 मार्च तक केंद्र द्वारा पार्टी की मांग पूरी नहीं किए जाने तक बेमियादी भूख हड़ताल की घोषणा की थी।

देब बर्मन के अनुसार, केंद्र सरकार को आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास और अधिक स्वायत्तता के लिए टीएमपी की मांगों के संवैधानिक समाधान का अध्ययन करने के लिए 27 मार्च तक एक वार्ताकार नियुक्त करना था।

टीएमपी विधायक और पार्टी मीडिया इकाई के प्रभारी पॉल डांगशू ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष देब बर्मन के नेतृत्व में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के लिए गुवाहाटी जाना था। प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में टीएमपी अध्यक्ष बिजॉय कुमार हरंगखाल, अनिमेष देबबर्मा, बृषकेतु देबबर्मा, बिस्वजीत कलाई, सभी विधायक और पूर्व मंत्री मेवाड़ कुमार जमातिया शामिल हैं।

देब बर्मन ने सोमवार को घोषणा की थी कि जब तक केंद्र 27 मार्च तक वार्ताकार नियुक्त नहीं करता, तब तक वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर रहेंगे। उन्होंने पहले कहा था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 23 मार्च को उन्हें सूचित किया था कि केंद्र 27 मार्च तक वार्ताकार नियुक्त करेगा। वार्ताकार आदिवासियों की अधिक स्वायत्तता और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए क्षेत्र का अध्ययन करेगा, ताकि टीएमपी की मांगों का संवैधानिक समाधान निकाला जा सके। आदिवासी त्रिपुरा की 40 लाख आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं। अमित शाह के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद देब बर्मन ने सरमा से मुलाकात की थी और कहा था कि सरमा इस मामले की वस्तु-स्थिति के बारे में शाह को जानकारी देंगे।

टीएमपी 1952 के बाद से त्रिपुरा में पहली आदिवासी आधारित पार्टी है, जिसने 16 फरवरी के विधानसभा चुनाव में इतिहास रचा। यह पार्टी 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 13 सीटें जीतकर पूर्वोत्तर राज्य में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरी। सत्तारूढ़ भाजपा टीएमपी को मुख्यमंत्री माणिक साहा के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है और आदिवासी पार्टी के लिए तीन मंत्री पद खाली रखे हैं।

हालांकि, देब बर्मन ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं की जाती, वे भाजपा के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे। अप्रैल 2021 में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) पर कब्जा करने के बाद से टीएमपी ग्रेटर टिप्रालैंड राज्य या संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत एक अलग राज्य का दर्जा देकर स्वायत्त निकाय के क्षेत्रों के उन्नयन की मांग कर रहा है।

सरमा, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में भाजपा के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक हैं, ने हाल ही में अगरतला में कहा था कि भाजपा और टीएमपी के बीच बातचीत फिर से शुरू हो सकती है, लेकिन यह संवैधानिक ढांचे के तहत होनी चाहिए, न कि त्रिपुरा को विभाजित करने की शर्त पर। सरमा, जिन्होंने विधानसभा चुनावों से पहले देब बर्मन के साथ कई दौर की बातचीत की थी, ने कहा था कि वार्ता फिर से शुरू हो सकती है, लेकिन हम ग्रेटर टिप्रालैंड राज्य के बारे में बात नहीं कर सकते।

8 मार्च को, जिस दिन भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने त्रिपुरा में लगातार दूसरी बार सत्ता संभाली, अमित शाह ने टीएमपी नेताओं के साथ दो घंटे की बैठक की थी और उनकी मांगों पर चर्चा की थी। बैठक में शाह के अलावा भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, असम के मुख्यमंत्री, त्रिपुरा के उनके समकक्ष माणिक साहा और टीएमपी के सभी 13 विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   29 March 2023 11:00 PM IST

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