मध्य प्रदेश चुनाव को देखते हुए उमा भारती राजनीति में वापस आने की कर रही कोशिश
- चुनाव महज 14 महीने दूर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में विशिष्ट स्थानों पर शराब पर प्रतिबंध लगाने की अपनी मांग को लेकर भाजपा की दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने घोषणा की है कि वह 7 नंवबर से घर के अंदर रहना बंद कर देगी और बाहर ही समय बिताएंगी।
भारती, जो अब तक मध्य प्रदेश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री भी रही हैं, ने कहा कि वह अपनी ही पार्टी की सरकार की शराब नीति के खिलाफ विरोध के रूप में दो महीने का लंबा मार्च शुरू करेंगी, जिसकी वजह से वह अधिकतम वक्त बाहर रहेंगी। भारती ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, शराब नीति के खिलाफ दो महीने के लंबे आंदोलन के दौरान, मैं मध्य प्रदेश में घूमूंगी और बाहर ही रहूंगी -- एक तंबू में, एक अस्थायी झोपड़ी में, एक पेड़ के नीचे, 7 नवंबर से।
यह शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करने का भारती का नया प्रयास है। वह पिछले कुछ महीनों से अपनी ही पार्टी की सरकार को घेर रही है। इससे पहले उन्होंने चौहान और पार्टी के राज्य प्रमुख वी डी शर्मा पर शराब नीति पर उनकी आवाज पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाते हुए खुले तौर पर हमला बोला था।
इससे पहले भारती ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को एक पत्र लिखा था लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अंत में, भारती को यू-टर्न लेना पड़ा और पिछले महीने की शुरूआत में शिवराज सिंह चौहान पर सुशासन के लिए उनकी प्रशंसा करते हुए अपने हमले को नरम करना पड़ा।
अब मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही भारती फिर से शराब को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारती का ताजा आंदोलन मध्य प्रदेश की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का एक और प्रयास है, जबकि चुनाव महज 14 महीने दूर हैं।
मध्य प्रदेश में एक राजनीतिक पर्यवेक्षक एन के सिंह ने कहा, जब से उन्होंने अगस्त 2004 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है, उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से बाहर कर दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री होने के बावजूद, उन्हें चुनावों के दौरान भी मध्य प्रदेश में कोई भूमिका नहीं दी गई। अब, जब उन्हें केंद्र में कोई भूमिका नहीं दी गई, भारती राज्य की राजनीति में फिर से प्रवेश करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
सिह ने आगे कहा है, भारती ने सोचा था कि उन्हें लोगों से वही प्रतिक्रिया मिलेगी जो उन्हें 2003-4 के दौरान मिली थी, लेकिन चुनावों के बाद यह साबित हो गया कि हिंदुत्व की उनकी तेजतर्रार छवि भाजपा के कारण थी, उन्होंने इसे महसूस किया और इसलिए उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी का भाजपा का विलय कर लिया।
राजनीतिक विचारक कहते हैं कि भारती ओबीसी कार्ड खेल कर मध्य प्रदेश की राजनीति में फिर से प्रवेश करने की कोशिश कर रही है, यही वजह है कि उन्होंने राज्य भाजपा में जाति और धार्मिक असंतुलन का आरोप लगाया। मसलन, जब प्रीतम सिंह लोधी को ब्राह्मणों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर पार्टी से बाहर कर दिया गया तो भारती उनके समर्थन में खुलकर खड़ी हो गईं।
उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा, उन्हें मध्य प्रदेश में दरकिनार कर दिया गया है और अब वह फिर से यहां प्रवेश करना चाहती हैं, लेकिन चीजें बदल गई हैं और भाजपा के अलग-अलग नेताओं ने अपना स्थान बना लिया है और वे उन्हें प्रवेश नहीं करने देंगे। भाजपा जानती है कि भारती ने अपना पुराना करिश्मा खो दिया है और उनकी चेतावनियों से कोई नुकसान नहीं होने वाला है और यही कारण है कि भाजपा नेता अब उनकी बात पर कोई खास ध्यान नहीं दे रहे हैं।
आईएएनएस
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Created On :   9 Oct 2022 11:00 AM IST