एक साथ दिखे ओवेसी, राजभर, आजाद, क्या बिगाड़ेगें बड़े सियासी दलों का खेल 

UP elections - Owaisi, Rajbhar, Azad seen together, what will spoil the game of big political parties
एक साथ दिखे ओवेसी, राजभर, आजाद, क्या बिगाड़ेगें बड़े सियासी दलों का खेल 
यूपी की नई सियासी तस्वीर! एक साथ दिखे ओवेसी, राजभर, आजाद, क्या बिगाड़ेगें बड़े सियासी दलों का खेल 

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सभी दल अपनी अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। भाजपा और सपा छोटे छोटे सियासी दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं।  भाजपा जन आर्शीवाद यात्रा तो सपा साइकिल यात्रा और बसपा सम्मेलनों के सहारे ये दल जनता तक पहुंच रहे हैं। लेकिन एक तस्वीर बीते दिनों ऐसी आई है, जिसने यूपी की सियासी गलियारे में हलचल मचा दी है। दरअसल एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवेसी ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक फोटो शेयर की, जिसमें असदुद्दीन ओवेसी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद रावण तीनों एक साथ हंसते हुए दिखाई दे रहे थे। उनकी इस फोटो ने बड़े बड़े सियासी सूरमाओं के पसीने छुड़ा दिए होंगे। 

 

 

 

अखिलेश-मायावती को खतरा

एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद रावण की मुलाकात ने यूपी की सियासत में उथल पुथल मचा दी है। समाजवादी वाले बबुआ (अखिलेश) और बीएसपी वाली बुआ (मायावती) की नींद जरुर उड़ गयी होगी। इन तीनों का मिलना मुस्लिम, पिछड़ा, दलित गठजोड़ को साधता है। 20 फीसदी मुसलमान, 22 फीसदी दलित और 42 फीसदी गैर यादव ओबीसी, ये आंकड़े इतने बड़े हैं कि ये किसी के साथ होलें तो उसके पो बारह कर दें। इसीलिए इस तस्वीर को देखकर अकेले चुनाव लड़ रहीं मायावती कहीं गठबंधन के लिए साथी ना तलाशने लगें। राजभर को दुतकारने वाले अखिलेश उनको पुचकारने ना लगें। सबसे बुरा हाल कांग्रेस का है, ना तो उसे सपा ने भाव दिया और ना बसपा ने, यहां तक कि राजभर, ओवेसी, आजाद तीनों ही कांग्रेस से कोई संपर्क नहीं किया है। कांग्रेस सबके लिए अछूत बनी हुई है। 

 

रावण की मजबूरी राजभर-ओवेसी  

बसपा के दलित वोटबैंक पर नजर रखने वाले चंद्रशेखर रावण को बसपा ने बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया है। क्योंकि हाल ही में जिस तरह रावण की साइकिल यात्रा में भीड़ उमड़ी थी। उससे साफ जाहिर है कि बसपा के कोर वोटबैंक में सेंध लग चुकी है।  मायावती रावण से गठबंधन करके अपने दलित वोटबैंक को उससे शेयर नहीं करना चाहती हैं। इसीलिए मायावती आजाद को नजरअंदाज कर रही हैं। सपा ने भी आजाद के गठबंधन वाले ऑफर पर कोई बात नहीं की है। आजाद को पता है कि उत्तर प्रदेश में उसकी बिना गठबंधन के दाल नहीं गलेगी। आजाद को किसी ना किसी का तो साथ चाहिए इसीलिए आजाद राजभर और ओवेसी का साथ पाने को बेकरार हैं। 

Created On :   30 Aug 2021 2:18 PM IST

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