Jamiat Ulama-e-Hind: 'वे फसादी, हम जिहादी', मौलाना महमूद मदनी ने फिर दिया विवादित बयान, वंदे मातरम को लेकर कही ये बात

वे फसादी, हम जिहादी, मौलाना महमूद मदनी ने फिर दिया विवादित बयान, वंदे मातरम को लेकर कही ये बात
हाल ही में भोपाल में आयोजित जमीयत उलमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना महमूद मदनी ने एक कार्यक्रम में जिहाद को लेकर बयान दिया था। जिसके बाद देश के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई थी। इसके बाद अब मगंलवार को महमूद मदनी ने बताया कि जिहाद को लेकर उन्होंने जो बयान दिया उससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और इसके कई अर्थ निकालने जाने लगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में भोपाल में आयोजित जमीयत उलमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना महमूद मदनी ने एक कार्यक्रम में जिहाद को लेकर बयान दिया था। जिसके बाद देश के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई थी। इसके बाद अब मगंलवार को महमूद मदनी ने बताया कि जिहाद को लेकर उन्होंने जो बयान दिया उससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और इसके कई अर्थ निकालने जाने लगे। इस दौरान उन्होंने वंदे मातरम को लेकर भी बयान दिया।

मौलाना महमूद ने फिर दिया विवादित बयान

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "सबसे बड़ा जिहाद अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना और खुद पर काम करना है। अगर अन्याय हो रहा है तो उसके खिलाफ आवाज उठाएं यह भी जिहाद है। जब से मैंने इस संगठन में एक सचिव के रूप में प्रवेश किया है, मैंने इसे अपने जीवन का मिशन बना लिया है कि कैसे आतंकवादियों ने इस्लामी शब्दावली को गलत समझा है।"

उन्होंने कहा, "हम जिहाद को आतंकवादियों से लड़ने के रूप में देखते हैं। मैंने हमेशा कहा है, वे फसादी हैं और हम जिहादी हैं। केंद्र हो या राज्य सभी के मंत्रालयों ने फैसला किया है कि अगर मुसलमानों से जुड़ी कोई भी नकारात्मक बात सामने आती है तो उसे जिहाद कहा जाएगा। जिहाद एक पवित्र शब्द है। हम जिहाद के असली अर्थ के लिए लड़ रहे हैं। लव जिहाद, जमीन जिहाद, थूक जिहाद और वोट जिहाद जैसे नए शब्द मुसलमानों को गाली देने के लिए गढ़े गए हैं।"

वंदे मातरम को लेकर कही ये बात

मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "जिहाद शब्द का इस्तेमाल कर इस्लाम को बहुत ही सुनियोजित तरीके से गाली दी जा रही है। अब सरकारी स्तर पर मुसलमानों को गाली दी जा रही है। यह मान लिया गया है कि सभी मुसलमान जिहादी हैं और इसलिए फसादी हैं। यह मेरी जिम्मेदारी बन गई कि मैं समझाऊं कि जिहाद असल में क्या है।"

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम पर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने साल 2011 में और उससे पहले भी काफी बहस की थी। उन्होंने कहा, "अब वे (केंद्र सरकार) कह रहे हैं कि वंदे मातरम अनिवार्य होगा। इसे जबरन लागू करना भारत की सोच नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो हम इसे कानूनी तौर पर चुनौती देंगे। सबसे पहले हम इस पर बात करेंगे और समाज को एकजुट करने की कोशिश करेंगे।"

Created On :   2 Dec 2025 10:37 PM IST

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