चेतन चौहान में कप्तानी के गुण थे : भारतीय टीम के पूर्व मैनेजर

Chetan Chauhan had the qualities of captaincy: former manager of Indian team
चेतन चौहान में कप्तानी के गुण थे : भारतीय टीम के पूर्व मैनेजर
चेतन चौहान में कप्तानी के गुण थे : भारतीय टीम के पूर्व मैनेजर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान का हाल ही में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था। उन्होंने हालांकि कभी भी भारतीय टीम की कप्तानी नहीं की थी, लेकिन भारतीय टीम के पूर्व मैनेजर शाहिद अली दुर्रानी को 39 साल पहले लगा था कि चेतन में कप्तानी के गुण हैं।

यह वही दुर्रानी ने जिन्होंने 1980-81 दौरे पर मेलबर्न टेस्ट में हुए विवाद में सुनील गावस्कर द्वारा टीम के मैदान छोड़ने से रोका था।लखनऊ में रहने वाले 84 साल के दुर्रानी उस आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे के पर अपनी रिपोर्ट में चेतन की काफी तारीफ की थी। उस रिपोर्ट की एक प्रति आईएएनएस के पास है। रिटायर्ड एयर फोर्स कैप्टन दुर्रानी आज भी उस रिपोर्ट पर कायम है जिसमें उन्होंने चेतन को विवादों से दूर रहने वाला, विनम्र, समय का पालन करने वाला और टीम बैठकों में अहम योगदान देने वाला बताया था। चेतन उस आस्ट्रेलियाई दौरे पर अच्छी फॉर्म में भी थे और तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज थे।

अपनी उस 21 पेजों की रिपोर्ट में दुरार्नी ने सभी 17 खिलाड़ियों के बारे में लिखा था। दुरार्नी ने चेतन के बारे में लिखा था, यह राजपूत अपनी सीमित बल्लेबाजी काबिलियत में भी शानदार प्रदर्शन करने को लेकर समर्पित है। वह शानदार फील्डर भी हैं और उपयोगी गेंदबाज भी। खेल का अच्छा छात्र। अच्छे कप्तान बनने की काबिलियत।

चेतन ने हालांकि कभी भी कप्तानी नहीं की चाहे वो महाराष्ट्र से खेले हों या दिल्ली से, भारतीय टीम की कप्तानी की बात ही छोड़ दीजिए।दुर्रार्नी ने निश्चित तौर पर चेतन के अंदर नेतृत्व क्षमता देखी होगी।उन्होंने कहा, मैंने चेतन चौहान को कप्तानी के लायक कुछ चीजों को लेकर बताया था और वो थीं, शांत चित, परिपक्व नजरिया, हाथ में जो काम है उसके प्रति समर्पण, टीम में युवाओं की मदद करने का नजरिया, विवादों से दूर रहने वाला, समय का पालन करने वाला, विनम्र।उन्होंने कहा, चार महीने के उस दौरे में चेतन में यह काबिलियत मुझे साफ तौर पर दिखी थीं और मैंने बीसीसीआई को उस समय जो रिपोर्ट में लिखा था मैं अभी भी उस पर कायम हूं।

दुर्रार्नी ने बताया कि चेतन का टीम की रणनीति बनाने में योगदान काफी बड़ा रहता था।उन्होंने कहा, अहम टीम बैठकों में वह कभी भी चुप नहीं रहते थे। वह पूरे जुनून और जज्बे के साथ इसमें हिस्सा लेते थे। अधिकतर समय में हम विपक्षी टीम की समझ को लेकर उनसे सहमत होते थे। वह खेल के बहुत अच्छे छात्र थे।चेतन जब 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे तब भी दुर्रार्नी ने उनको बारीकी से फॉलो किया।उन्होंने कहा, लखनऊ में मैंने उनके तीन साल के कैबीनेट मंत्री के काम को अखबारों के माध्यम से करीब से देखा। मुझे उनसे मिलने का मौका नहीं मिला, हालांकि इसका कोई निश्चित कारण नहीं है।

चेतन ने अक्टूबर 1967 में चंदू बोर्डे की कप्तानी में महाराष्ट्र के साथ अपना प्रथम श्रेणी पदार्पण किया था। बोर्डे को याद नहीं कि चेतन ने कभी किसी टीम की कप्तानी की या नहीं।भारतीय टीम के पूर्व कप्तान ने कहा, वह बेहद समर्पित और शानदार बल्लेबाज थे। लेकिन मैंने उन्हें महाराष्ट्र की कप्तानी करते हुए नहीं देखा। हो सकता है कि उन्होंने पुणे में अपने कॉलेज टीम कप्तानी की हो। प्रोफेसर कमल भंडारकर ने उन्हें कोचिंग दी थी।चेतन ने 1975 में दिल्ली का रूख किया तब बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी दिल्ली के कप्तान थे। बेदी हालांकि दुरार्नी की बात से बचते दिखे।

बेदी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि दुरार्नी ने जो कहा है कि चेतन कप्तानी के काबिल थे, मुझे उसके साथ जाना चाहिए या नहीं। आम बात कहूं तो, अगर किसी में कप्तानी के गुण होते हैं तो वह शुरुआत में ही दिख जाते हैं, 30 साल या उसके बाद नहीं।चेतन के दिल्ली आने पर बेदी ने कहा, उस समय वह वेस्ट जोन की टीम में जाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। और उस समय दिल्ली को एक खडूस बल्लेबाज क जरूरत थी, इससे दोनों को फायदा हुआ।

 

Created On :   26 Aug 2020 3:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story