खालीपन की ओर अग्रसर है भारतीय महिला बैडमिंटन

Indian woman badminton is leading towards emptiness
खालीपन की ओर अग्रसर है भारतीय महिला बैडमिंटन
खालीपन की ओर अग्रसर है भारतीय महिला बैडमिंटन

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। सायना नेहवाल आधुनिक भारतीय बैडमिंटन की पहली सुपरस्टार हैं। अब हालांकि उनका खेल अवसान पर है। बीते कुछ समय से उनका फॉर्म और फिटनेस जवाब दे रहा है। फॉर्म और फिटनेस को फिर से हासिल करने के लिए सायना ने ब्रेक लिया है। महिला सर्किट में आज पीवी सिंधु सबसे चमकता हुआ सितारा है लेकिन वह भी बीते कुछ समय से खराब दौर से गुजर रही हैं।

अगस्त में विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली सिंधु के सामने हालांकि लंबा करियर है, लेकिन सायना कभी भी संन्यास की घोषणा कर सकती हैं। 2006 में सीनियर सर्किट में आने वाली सायना के पदचिन्हों पर चलकर सिंधु भारतीय महिला बैडमिंटन की सबसे बड़ी स्टार बनीं। लेकिन अहम सवाल यह है कि इन दोनों के बाद कौन? क्या टेनिस में सानिया मिर्जा के बाद आए खालीपन की तरह भारतीय बैडमिंटन को भी इसी तरह के खालीपन से रूबरू होना पड़ेगा।

लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता सायना और रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिधु ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर बैडमिंटन में भारत को नई बुलंदियों पर पहुंचाया है। इस दोनों खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से बैडमिंटन में प्रतिस्पर्धा की संस्कृति को आगे बढ़ाया है।

उनके इस प्रदर्शन को देखकर पुरुष खिलाड़ी भी अपने खेल को नई ऊंचाईयों तक ले गए हैं। इनमें पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 किदांबी श्रीकांत और पूर्व राष्ट्रमंडल खेलों के चैंपियन पारुपल्ली कश्यप भी शामिल हैं। कश्यप सायना के पति भी हैं।

इस साल हालांकि सायना के फॉर्म में गिरावट देखने को मिला है जबकि सिंधु भी विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीतने के बाद से अच्छे फॉर्म में नहीं दिख रही है। सायना इस साल पिछले छह टूर्नामेंटों में पांच बार बिना कोई मैच जीते ही पहले राउंड में बाहर हो चुकी हैं।

पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 सायना इस वर्ष इंडोनेशिया मास्टर्स के रूप में केवल एक खिताब जीतने में सफल हो पाई हैं। इसके अलावा वह विश्व चैंपियनशिप से तीसरे दौर से, ऑल इंग्लैंड ओपन से क्वार्टर फाइनल से, मलेशिया ओपन में पहले दौर से, सिंगापुर ओपन में क्वार्टर फाइनल से, चीन, कोरिय और डेनमार्क ओपन में पहले दौर से, फ्रेंच ओपन में क्वार्टर फाइनल से, चीन और हांगकांग ओपन में पहले दौर से, मलेशिया मास्टर्स में सेमीफाइनल से, थाईलैंड ओपन में दूसरे दौर से और एशियन चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल से बाहर हो गई थीं।

उनके इस प्रदर्शन के कारण उनकी रैंकिग में भी गिरावट देखेने को मिली थी। विश्व रैंकिंग में सायना इस समय नौवें नंबर पर जबकि सिंधु छठे नंबर पर हैं। ये दो महिला खिलाड़ी ही महिला एकल में टॉप-10 में शामिल रहने वाली भारतीय हैं।

सायना ने खुद माना है कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में बेहतर करना है। इसके लिए उन्होंने अगले साल 20 जनवरी से शुरू होने वाली प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) से अपना नाम वापस ले लिया है। इसके अलावा वह मंगलवार से शुरू हुई सैयद मोदी टूर्नामेंट से भी हट गई हैं।

सायना के अलावा सिंधु भी विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीतकर इतिहास रचने के बाद से कोई ज्यादा कमाल नहीं कर पाई है। यहां बताना जरूरी है कि सिंधु ने भी विश्व चैम्पियनशिप से पहले ब्रेक लिया था। वह ब्रेक हालांकि उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ था।

सिंधु इस साल ऑल इंग्लैंड ओपन में पहले दौर में, इंडिया ओपन में सेमीफाइनल में, मलेशिया ओपन में दूसरे दौर में, सिंगापुर ओपन में सेमीफाइनल में, इंडोनेशिया ओपन में फाइनल में, आस्ट्रेलियन ओपन में दूसरे दौर में, जापान ओपन में क्वार्टर फाइनल में, चीन और डेनमार्क ओपन में दूसरे दौर में, कोरिया और चीन ओपन में पहले दौर में और इंडोनेशिया मास्टर्स में क्वार्टर फाइनल में हार गई थीं।

सायना और सिंधु के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि महिला एकल में कौन इन खिलाड़ियों का स्थान लेगा।

अगर रैंकिंग की लिहाज से भी बात करें तो सायना और सिंधु के टॉप-10 के बाद मुगदा एग्री और ऋतुपर्णा दास ही क्रमश: 62वें और 64वें नंबर पर हैं। उनके अलावा पांच और भारतीय 80 और 90 रैंकिंग के बीच में शामिल हैं।

महिलाओं की तुलना में सात पुरुष भारतीय टॉप-50 में शामिल हैं। इनमें विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाले बी.साई प्रणीत 11वें और पूर्व वर्ल्ड नंबर वन श्रीकांत 12वें नंबर पर मौजूद हैं। वहीं, कश्यप 23वें नंबर हैं।

प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में बतौर सलाहकार कोच के रूप में काम कर रहे डेनमार्क के दिग्गज मोर्टन फ्रॉस्ट ने कहा, भारत में 20वीं सदी में सायना और 20 के दशक के मध्य में सिंधु है, इसलिए उन्हें कई अच्छे साल मिले हैं। यह सब अब सभी कोचों, भारतीय बैडमिंटन संघ या जो भी इन-चार्ज है, उन पर निर्भर करता है कि वे इन दोनों खिलाड़ियों के बाद कैसे अगली पीढ़ी तैयार करते हैं।

चार बार ऑल इंग्लैंड चैंपियन रह चुके फ्रॉस्ट ने इंग्लैंड और स्वीडन का उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले 20-25 वर्र्षो में वहां पर कैसे खेलों का स्तर काफी नीचे गिरा है। इन देशों को 1970 और 80 के समय में बैडमिंट का पॉवर हाउस कहा जाता था।

मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हमारे पास युवा ग्रुप के लिए कोई कार्यक्रम नहीं था। हमें ज्यादा युवा खिलाड़ी नहीं दिए गए। जूनियर से सीनियर में बदलाव के लिए वास्तव में हमने कुछ नहीं किया।

ऋतुपर्णा दास और जी रुत्विका शिवानी हालांकि कुछ ऐसी खिलाड़ी हैं, जो अभी उभर कर सामने आ रही हैं। लेकिन उन्होंने विश्व बैडमिंटन महासंघ (बीडब्ल्यूएफ) टूर्नामेंटों में कुछ टूर्नामेंटों के अलावा अपने खेल को आगे नहीं ले जा पाई हैं।

दोनों खिलाड़ी इस समय 22 साल की हैं और इस उम्र में तो सायना विश्व जूनियर चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स और कई सुपरसीरीज टूर्नामेंटों में स्वर्ण पदक जीत चुकी थीं। सायना ने 23 साल की उम्र में ही ओलंपिक कांस्य पदक जीत लिया था जबकि इसी उम्र में अभी सिंधु भी हैं। सिंधु अभी 24 साल की हैं वह ओलंपिक रजत पदक जीतने के अलावा विश्व चैंपियनशिप में तीन पदक और कई खिताब अपने नाम कर चुकी हैं।

पूर्व राष्ट्रीय कोच विमल कुमार ने कहा, आज के समय में बैडमिंटन एक शारीरिक खेल है। यह पूरी तरह से शारीरिक फिटनेस पर निर्भर करता है, जैसे कि सायना और सिंधु हैं। आपको उनसे काफी कुछ सीख लेने की जरूरत है।

विमल ने साथ ही कहा कि भारत में अच्छे स्तर के बैडमिंटन अकादमी के न होने के कारण बैडमिंटन में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का अभाव देखने को मिलता है। भारत में केवल दो ही विश्व स्तरीय बैडमिंटन अकादमी हैं। इनमें हैदराबाद में गोपीचंद अकादमी और बेंगलुरू में प्रकाश पादुकोण अकादमी हैं।

पूर्व राष्ट्रीय कोच ने कहा, सभी दक्षिण से आ रहे हैं, लेकिन हमें अच्छे सेंटर बनाने की जरूरत है, खासकर नॉर्थ में। मैं पिछले 10 साल से यही कह रहा हूं। चाहे यह पूर्व में हो या उत्तर में, हमें इन क्षेत्रों में अच्छे खिलाड़ियों को तलाशने की जरूरत है।

Created On :   26 Nov 2019 12:00 PM GMT

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