खो खो को भी वाजिब पहचान मिलनी चाहिए : कप्तान पोकार्डे

Kho Kho should also get proper recognition: Captain Pocarde (Lead-1, with modification in name)
खो खो को भी वाजिब पहचान मिलनी चाहिए : कप्तान पोकार्डे
खो खो को भी वाजिब पहचान मिलनी चाहिए : कप्तान पोकार्डे

नई दिल्ली, 7 दिसम्बर (आईएएनएस)। दक्षिण एशियाई खेलों में लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय राष्ट्रीय पुरुष खो खो टीम के कप्तान बालासाहेब पोकार्डे का मानना है कि कबड्डी की तरह खो खो भी जनमानस और जमीन से जुड़ा हुआ खेल है, ऐसे में देश में बीते कुछ सालो में कबड्डी को जितना प्यार और सम्मान मिला है, उसी तरह का सम्मान खो खो को भी मिलना चाहिए।

कबड्डी की तरह ही देश के प्राचीन खेलों में से एक खो खो को 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में शामिल किया गया था। भारत की पुरुष टीम ने उस साल भी स्वर्ण पदक जीता था और टीम ने इस बार भी नेपाल में हुए दक्षिण एशियाई खेलों के फाइनल में बांग्लादेश को हराकर लगातार दूसरी बार यह खिताब जीता है।

टीम की इस जीत से उत्साहित कप्तान पोकार्डे का मानना है कि खो खो को कबड्डी की तरह ही पहचान मिलनी चाहिए।

पोकार्डे ने आईएएनएस से साक्षात्कार में कहा, कबड्डी की तरह ही खो खो भी भारत का प्राचीन खेल है और हममें से किसी न किसी ने बचपन में जरूर खो खो खेला होगा। यह खेल बहुत प्रसिद्ध है लेकिन इसके बढ़ावा कम मिला है। अब जबकि इस खेल में भी लीग शुरू होने जा रही है, तो आशा है कि खो खो भी कबड्डी की तरह ही प्रसिद्ध होगा और इसके खिलाड़ियों को भी उसी तरह का मान-सम्मान मिलेगा, जोकि अन्य खेलों के खिलाड़ियों को मिलता है।

कप्तान ने कहा कि उनकी टीम दक्षिण एशियाई खेलों में अपने खिताब का बचाव करने को लेकर आश्चस्त थी। उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास था कि मेरी टीम, जिसने पिछली बार स्वर्ण पदक जीता था, इस बार भी अपना खिताब बचाने में सफल होगी। हम लोग खिताब बचाने की पूरी उम्मीद के साथ मैट पर उतरे थे।

यह पूछे जाने पर कि टूर्नामेंट में किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा, उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता है कि किसी भी टीम के खिलाफ हमें कड़ी चुनौती मिली। लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ हमें चुनौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने भी अच्छा प्रदर्शन किया। उनकी स्पीड बहुत अच्छी थी, हमने जो तकनीक और रणनीति बनाई थी, उनमें वे फंस गए और हमने उन्हें आसान से हरा दिया।

कप्तान ने कहा कि दक्षिण एशियाई खेलों के अलावा अब उनका लक्ष्य अन्य इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भारत को स्वर्ण पदक दिलाना है। उन्होंने कहा, दक्षिण एशियाई खेलों के बाद हमें एशियन चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप में भी भाग लेना है। इसे देखते हुए अब हमारा अगला लक्ष्य इन टूर्नामेंटों में भी देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।

देश में इस खेल को और ज्यादा बढ़ावा देने के लिए भारतीय खो खो महासंघ इन दिनों कई आयु वर्ग में राष्ट्रीय टूर्नामेंटों का आयोजन कर रहा है और कप्तान बोकार्डे संघ के इस प्रयास से काफी खुश हैं।

पोकार्डे ने कहा, वास्तव में संघ अभी बहुत अच्छा काम कर रही है। समय-समय पर राष्ट्रीय टूर्नामेंटों का आयोजन कर रही है और विजेताओं को नकद पुरस्कार दे रही है। हमारे अधिकारियों के प्रयास के कारण ही हम शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। संघ खो खो को आगे लेकर जा रही है और इसमें हम उनके साथ हैं।

पोकार्डे ने खो खो टीम में आए बदलावों को लेकर कहा, मैं 2016 की टीम में भी था और इस बार की टीम में भी मुझे कप्तानी करने का मौका मिला है। अंतर केवल इतना ही है कि उस टीम में कई अनुभवी खिलाड़ी शामिल थे जबकि इस टीम में युवाओं और अनुभवी खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण है।

यह पूछे जाने पर कि भारतीय खो खो को आगे ले जाने के लिए और क्या किया जाना चाहिए, कप्तान ने कहा, टीम को एकजुट होकर काम करना चाहिए और टीम ऐसा ही कर रही है। सुधांशु मित्तल, राजीव मेहता सर की एक ऐसी टीम है, जो खो खो को काफी आगे लेकर जा रही है। पहले खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में खेलने का मौका नहीं मिलता था और केवल राष्ट्रीय टूर्नामेंट ही खेलते थे। पहलै पैसे भी पूरे नहीं मिलते थे, लेकिन अब इस खेल को काफी बढ़ाया दिया जा रहा है और खिलाड़ी इससे उत्साहित हो रहे हैं।

खो खो महासंघ ने देश में इस खेल को बढ़ावा देने के लिए लीग शुरू करने की घोषणा की है।

पोकार्डे ने कहा, देश में खो खो को सही से बढ़ावा देने के लिए उसको एक पहचान देना जरूरी है। संघ ने अल्टीमेट खो खो लीग की घोषणा करके इसकी शुरूआत कर दी है। हम लोग इस लीग को लेकर काफी उत्साहित हैं। उम्मीद है कि यह एक पेशेवर लीग होगी। भारत में खो खो एक पुराना खेल है और जब लोग इसे टीवी पर देखेंगे तो इसे और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा।

 

Created On :   7 Dec 2019 2:00 PM GMT

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