भगवान की फुटबॉल टीम में शामिल होने चले गए माराडोना
- भगवान की फुटबाल टीम में शामिल होने चले गए माराडोना (ऑब्यूचरी)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार डिएगो माराडोना का ऑरा कभी न खत्म होने वाला था। यह वहां तक गया है जहां माराडोना गए हैं, दिव्यता तक, गेंद के साथ भी गेंद के बिना। उनके अलग-अलग चित्र जिनमें वह जीसस क्राइस्ट की छाया में दिखाई देते हैं वह ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना और नेपेल्स, इटली की सड़कों पर देखे जा सकते हैं।
यह तब भी दिखाई दिया था जब माराडोना 2008 और 2017 में कोलकाता आए थे। वह तब तक एक दशक से भी पहले खेल से संन्यास ले चुके थे। उनका स्वास्थ्य उनकी फुटबॉल संबंधी गतिविधियों के कारण ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा था। इसमें से कोई भी चीज 1,00, 000 लोगों के लिए मायने नहीं रखती थी जो छह दिसंबर 2008 को सॉल्ट लेक की सड़कों पर उतर गए थे। यह 25 नवंबर 2020 को उनके निधन पर दुनियाभर से आई श्रद्धंजलि के तौर पर भी देखा जा सकता है।
मैदान पर उनकी योग्यता उन्हें महान, जादूगर, बनाती थी जिनके दम पर वह खेल के महानतम खिलाड़ी बन सके, लेकिन साथ ही मैदान के बाहर उनके व्यवहार ने उन्हें बिगडै़ल, अप्रिय, मसखरा, और पता नहीं क्या क्या उपाधि दिलाई थीं। माराडोना से लोग किस हद तक प्यार करते थे इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2018 फीफा विश्व कप के ग्रुप मैच में अर्जेटीना ने नाइजीरिया को एक अहम मैच में हरा दिया था और माराडोना ने स्टैंड से कुछ अभद्र इशारे किए थे, बावजूद इसके इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी और मैनचेस्टर युनाइटेड के डिफेंडर रियो फर्डीनेंड ने कहा था कि माराडोना उनके चहेते हैं।
उन्होंने कहा था, वह शख्स मेरा आदर्श था और है। उस इंसान ने जो मैदान पर किया-उसका कोई जोड़ नहीं है। वह मुख्य इंसान है जिसने मुझे विश्वास दिलाया कि पेखाम जैसे राज्य से आते हुए फुटबॉल में सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने बीती रात जो किया मैं उसकी निंदा नहीं करूंगा। जो तस्वीरें हमने देखी हैं। लेकिन मैं लोगों के उन पर हंसने की भी निंदा नहीं करूंगा। मैं उम्मीद करता हूं कि वह अच्छे हों।
दुनिया के महान फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार माराडोना की कप्तानी में ही अर्जेटीना ने 1986 में विश्व कप जीता था। इस विश्व कप में माराडोना ने कई अहम पल दिए थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है जिसमें से सबसे बड़ा और मशहूर पल इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में आया था जब उनके द्वारा किए गए गोल को गोल ऑफ द सेंचुरी कहा गया था। उन्होंने 60 यार्ड से भागते हुए इंग्लैंड की मिडफील्ड को छकाते हुए गोल किया था।
ब्यूनस आयर्स के बाहरी इलाके में 30 अक्टूबर 1960 में पैदा हुए माराडोना ने 1976 में अपने शहर के क्लब अर्जेटीनोस जूनियर्स के लिए सीनियर फुटबॉल में पदार्पण किया था। इसके बाद वह यूरोप चले गए जहां उन्होंने 1982-84 तक स्पेन के दिग्गज क्लब बार्सिलोना के साथ पेशेवर फुटबॉल खेली। 1984 में कोपा डेल रे के फाइनल में विवाद के कारण स्पेनिश क्लब के साथ उनका सफर खत्म हुआ।
इसके बाद वह इटली के क्लब नापोली गए जो उनके करियर के सबसे शानदार समय में गिना जाता है। क्लब के साथ उन्होंने दो सेरी-ए, कोपा इटालिया और एक यूईएफए कप के खिताब जीते। वह क्लब से उसके सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी के तौर पर विदा हुए। उनके रिकार्ड को 2017 में मारेक हानिसिक ने तोड़ा। इसके बाद उन्होंने स्पेनिश क्लब सेविला और फिर अर्जेटीना के नेवेल के साथ करार किया। कोच के तौर पर वह अपनी राष्ट्रीय टीम के साथ 2008 से 2010 तक रहे।
1986 विश्व कप में उन्होंने अपनी टीम के लिए जो प्रदर्शन किया था उसने अर्जेटीना मे उन्हें अमर कर दिया था। खासकर इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए क्वार्टर फाइनल में जहां उन्होंने दो गोल किए थे। पहला गोल जो उन्होंने हाथ से किया था और इस पर उनकी सफाई थी कि उन्होंने गेंद से थोड़ा से अपने सिर को छुआ था और थोड़ा सा हैंड ऑफ गॉड। इसके बाद इस गोल को हैंड ऑफ गॉड का नाम दे दिया गया।
चार मिनट बाद माराडोना 60 यार्ड से इंग्लैंड के मिडफील्ड को छकाते हुए गए और इंग्लैंड के गोलकीपर पीटर शेल्टन को मात दे गोल किया जिससे बाद में गोल ऑफ द सेंचुरी नाम दिया गया। 17 साल के लंबे करियर का अंत उनका अच्छा नहीं रहा था। 1994 विश्व कप में ड्रग्स टेस्ट में फेल हो जाने के कारण उन्हें स्वदेश वापस भेज दिया गया था। इस टूर्नामेंट में उन्होंने दो मैच खेले थे। प्रशंसकों ने मान लिया था कि माराडोना की महानता के साथ उनकी बिगडैल स्वाभाव साथ में आया है, यह ऐसा है जिससे नफरत नहीं की जा सकती।
Created On :   26 Nov 2020 1:30 AM IST