छेत्री के बाद कोई नहीं, यह चिंता का विषय : बाइचुंग भूटिया
- छेत्री के बाद कोई नहीं
- यह चिंता का विषय : बाइचुंग भूटिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय फुटबाल के साथ एक स्थायी समस्या है कि उसके पास गोल मशीन की कमी रही है। आई.एम. विजयन, बाइचुंग भूटिया और सुनील छेत्री जैसे स्टार देश के पास तो रहे हैं लेकिन कभी भी खिलाड़ियों का पूल नहीं रहा है जिसमें से गोल मशीन निकल सकें। एक समय भूटिया और छेत्री की साझेदारी शानदार थी लेकिन भूटिया के जाने के बाद छेत्री अकेले पड़ गए हैं और भूटिया के लिए खिलाड़ियों की कमी एक चिंता का विषय है।
भूटिया ने आईएएनएस से बात करते हुए छेत्री के संन्यास लेने के बाद उनका स्थान लेने वाले खिलाड़ियों पर बात की। साथ ही कहा कि भारतीय क्रिकेट की तरह फुटबाल में भी पूर्व खिलाड़ियों को आगे आना चाहिए। छेत्री के साथ जो लोग बेहतरीन साझेदारी बना सकते हैं उनमें दो नाम सबसे पहले आते हैं जिनमें जेजे लालपेखुलआ और बलवंत सिंह शामिल हैं। लेकिन दोनों अभी तक वो प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं जिनकी उनसे उम्मीद थी और भूटिया को लगता है कि इसमें चोट का अहम रोल रहा है।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान ने कहा, यह बड़ी चिंता है क्योंकि छेत्री के बाद कोई नहीं है। यह कहना काफी मुश्किल है कि भारत में स्ट्राइकर अपना रास्ता क्यों भटक रहे हैं। निरंतरता मुझे लगता है कि काफी जरूरी है। जेजे को काफी चोटें लगी और अब उनकी उम्र (29) भी उनके पक्ष में नहीं है। जेजे ने हालांकि अच्छा काम किया है। मुझे लगता है कि चोट मुख्य कारण है। बलवंत को भी चोट के कारण काफी कुछ झेलना पड़ा।
भूटिया ने कहा कि यह दोनों चोट के कारण ज्यादा खेल भी नहीं पाए। उन्होंने कहा, मैं यही कह रहा हूं कि वह चोट के कारण खेल नहीं पाए। लेकिन फिर भी यह कहना काफी मुश्किल है कि वह कहां अपने रास्ते से भटक गए। मुझे लगता है कि निरंतरता काफी जरूरी है।
क्या भूटिया को लगता है कि अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) का स्ट्राइकर बनाने में रोल है? पूर्व स्ट्राइकर ने कहा है कि शीर्ष स्तर पर इस मामले में एआईएफएफ ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, महासंघ ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। क्लब वेतन दे रहे हैं और वह ट्रॉफियां जीतना चाहते हैं और चाहते हैं कि खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करें। चूंकि क्लब वेतन दे रहे हैं तो महासंघ उनसे यह कुछ नहीं कह सकती कि आप उसे खेलाएं और उसे खेलाएं। वह यह तब तक नहीं कह सकती जब तक वह वेतन न दे।
भूटिया को हालांकि लगता है कि खिलाड़ियों का पूल बनाना एक विकल्प हो सकता है क्योंकि सारे क्लब इसी समस्या से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर मुझे लगता है कि स्ट्राइकरों की कमी एक समस्या है। यह क्लब पर निर्भर करता है क्योंकि हर कोई इसी समस्या से जूझ रहा है। हां, छेत्री के बाद कमी रहेगी। यह बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि छेत्री के बाद कोई नहीं है। हमें जमीनी स्तर पर स्ट्राइकरों की कमी पर काम करना होगा।
भूटिया से जब पूछा गया कि क्या एआईएफएफ बीसीसीआई की तरह पूर्व खिलाड़ियों को सिस्टम में ला सकती है जिस तरह राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली आए? भूटिया ने कहा, अगर सक्षम हैं तो क्यों नहीं? यह आसान नहीं है, यह मुश्किल है। लेकिन अगर वह कर सकते हैं तो उन्हें आगे आना चाहिए।
Created On :   20 July 2020 4:31 PM IST